
नई दिल्ली।
दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025 में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने 48 सीटें जीतकर इतिहास रच दिया है। 1993 के बाद यह पहली बार है जब बीजेपी दिल्ली में सत्ता में वापसी कर रही है। इस जीत को सिर्फ संयोग नहीं बल्कि एक सुव्यवस्थित रणनीति और व्यापक तैयारी का परिणाम माना जा रहा है।
संगठित रणनीति और जमीनी स्तर पर मजबूत पकड़
बीजेपी ने इस चुनाव को महज एक राजनीतिक मुकाबले की तरह नहीं, बल्कि एक मिशन के रूप में लिया। पार्टी ने बूथ स्तर से लेकर बड़े पैमाने पर माइक्रो मैनेजमेंट पर फोकस किया। हर विधानसभा क्षेत्र में मतदाताओं के व्यवहार को गहराई से समझते हुए विशिष्ट रणनीतियां बनाई गईं।
शीर्ष नेतृत्व की सक्रिय भागीदारी
चुनाव प्रचार की कमान सीधे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संभाली। उन्होंने दिल्ली में तीन बड़ी जनसभाएं कीं, जिनमें उन्होंने विभिन्न वर्गों के मतदाताओं को बीजेपी के विजन से जोड़ने की कोशिश की। गृह मंत्री अमित शाह ने 16 रैलियों और रोड शो के जरिए माहौल को और मजबूत किया, जबकि पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने 6 रैलियों के माध्यम से प्रचार अभियान को धार दी।
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ समेत कई अन्य दिग्गज नेता जैसे देवेंद्र फडणवीस, हिमंत बिस्वा सरमा, पुष्कर सिंह धामी और भजनलाल शर्मा भी प्रचार अभियान में सक्रिय रहे। बीजेपी ने हर केंद्रीय मंत्री को दो-दो विधानसभा सीटों की जिम्मेदारी दी ताकि कोई क्षेत्र प्रचार से अछूता न रह जाए।
सामाजिक समीकरणों पर फोकस
बीजेपी ने अलग-अलग सामाजिक वर्गों के साथ सीधा संवाद स्थापित करने के लिए व्यापक स्तर पर बैठकें आयोजित कीं। महिलाओं के साथ 7,500 से अधिक बैठकें, दलित समुदाय के साथ 4,500 से अधिक, मुस्लिम समाज के साथ 1,700 और ओबीसी वर्ग के साथ 5,000 से ज्यादा सभाएं की गईं। इससे पार्टी ने जमीनी स्तर पर मजबूत पकड़ बनाई।
आरएसएस का व्यापक सहयोग
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) ने भी बीजेपी के प्रचार अभियान को मजबूती देने में अहम भूमिका निभाई। आरएसएस ने 10,000 से अधिक ‘ड्रॉइंग रूम मीटिंग्स’ आयोजित कीं और मुस्लिम बुद्धिजीवियों से भी संपर्क साधा।
राज्यवार रणनीति और मतदाता जोड़ने का प्रयास
दिल्ली में रहने वाले विभिन्न राज्यों के मतदाताओं को ध्यान में रखते हुए बीजेपी ने राज्यवार रणनीति अपनाई। तेलुगु, कन्नड़, पहाड़ी और अन्य भाषाई समूहों के साथ संबंधित राज्यों के नेताओं के माध्यम से संपर्क साधा गया। पार्टी ने उन मतदाताओं से भी संपर्क किया जो कोविड के दौरान अपने गांव लौट गए थे, ताकि वे चुनाव के समय दिल्ली लौटकर मतदान कर सकें।
महत्वपूर्ण मुद्दों पर केंद्रित प्रचार
बीजेपी ने दिल्ली की प्रमुख समस्याओं जैसे यमुना प्रदूषण, जल संकट, टूटी सड़कों और भ्रष्टाचार के मुद्दों को प्रमुखता से उठाया। प्रधानमंत्री मोदी ने सभी 70 उम्मीदवारों के समर्थन में व्यक्तिगत पत्र लिखकर मतदाताओं को संबोधित किया और ‘मोदी गारंटी’ के तहत विकास कार्यों के निरंतरता का आश्वासन दिया।
ऐतिहासिक जीत का अर्थ
इस चुनावी जीत के साथ बीजेपी ने 21वीं सदी में पहली बार दिल्ली में विधानसभा चुनाव जीतकर सरकार बनाने का रास्ता साफ किया है। 2015 और 2020 में मिली हार के बावजूद पार्टी ने मजबूत वापसी की और यह साबित किया कि मजबूत रणनीति, जमीनी स्तर पर मेहनत, और नेतृत्व की स्पष्ट दिशा के साथ कोई भी चुनौती पार की जा सकती है।
बीजेपी की यह जीत न सिर्फ दिल्ली के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि यह पार्टी के लिए राष्ट्रीय स्तर पर भी एक प्रेरक उदाहरण बन गई है।
ब्यूरो रिपोर्ट