
सरकार की उदासीनता की ‘वर्षगांठ’ मना रहे ग्रामीण!
राजधानी पटना से सटे संपतचक प्रखंड में विकास की हकीकत उस समय बेनकाब हो जाती है, जब एक ध्वस्त पुल की दूसरी वर्षगांठ मनानी पड़े। बादशाही नाला पर बना शाहपुर पिपरा पुल टूटे हुए आज पूरे दो साल हो चुके हैं, लेकिन अब तक उसका स्थायी निर्माण नहीं हो सका। नतीजा यह है कि करीब दो लाख की आबादी आज भी रोज़मर्रा की जिंदगी में भारी परेशानियों से जूझ रही है।
31 जनवरी 2024 की मध्यरात्रि को शाहपुर पिपरा का यह अहम पुल अचानक ध्वस्त हो गया था। इस पुल के टूटते ही इलाके के करीब तीन दर्जन गांवों का संपर्क प्रखंड मुख्यालय, बाजार, अस्पताल और अन्य जरूरी सेवाओं से कट गया। हालात इतने खराब हैं कि स्कूली बच्चों, बुजुर्गों, महिलाओं और मरीजों को सबसे ज्यादा दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। बच्चों के लिए स्कूल जाना चुनौती बन गया है, जबकि कई लोग मजबूरी में लंबी दूरी पैदल तय कर रहे हैं।
स्थानीय ग्रामीणों का कहना है कि पुल ध्वस्त होने के बाद उन्होंने सांसद, विधायक और प्रशासन के दरवाजे कई बार खटखटाए, लेकिन हर बार सिर्फ आश्वासन ही मिला। स्थायी पुल निर्माण की दिशा में अब तक कोई ठोस पहल जमीन पर नजर नहीं आई।

हालांकि, लोगों की मजबूरी को देखते हुए सामाजिक सरोकार रखने वाले लोगों ने पहले बांस की चचरी पुल और बाद में लोहे का अस्थायी पुल बनवाया, ताकि कम से कम पैदल आवागमन किसी तरह बहाल हो सके। लेकिन यह व्यवस्था न तो सुरक्षित है और न ही स्थायी समाधान।
पुल ध्वस्त होने की दूसरी वर्षगांठ पर ग्रामीण एकत्र हुए और इसे “खुशी का नहीं, बल्कि सरकारी उदासीनता का दिन” बताया। लोगों ने नाराजगी जताते हुए कहा कि यह पुल केवल एक ढांचा नहीं था, बल्कि लाखों लोगों की जिंदगी की राह था, जो आज भी बंद पड़ी है।
इस मामले में स्थानीय विधायक डॉ. रामानंद यादव का कहना है कि,” पुल निर्माण का टेंडर हो चुका है, लेकिन विभाग और ठेकेदार की लापरवाही के कारण काम शुरू नहीं हो पाया है।”
अब सबसे बड़ा सवाल यह है कि आखिर दो साल बाद भी पुल निर्माण सिर्फ कागज़ों और बयानों तक ही क्यों सिमटा हुआ है। दो लाख की आबादी कब तक इस टूटे पुल और अस्थायी इंतज़ामों के सहारे ज़िंदगी गुज़ारने को मजबूर रहेगी। ग्रामीणों की मांग है कि सरकार और प्रशासन आश्वासन नहीं, बल्कि ज़मीन पर काम दिखाए और जल्द से जल्द एक सुरक्षित व स्थायी पुल का निर्माण कराकर क्षेत्र की जनता को राहत दे।
अजीत कुमार की रिपोर्ट
