पटना।
देश में परीक्षा, नौकरी और चुनाव—तीनों प्रक्रियाओं में पारदर्शिता और सुरक्षा को लेकर नई बहस छेड़ते हुए भाजपा ओबीसी मोर्चा के राष्ट्रीय महामंत्री डॉ. निखिल आनंद ने केंद्र सरकार, बिहार सरकार और चुनाव आयोग से कड़े कदम उठाने की मांग की है। उनका कहना है कि पहचान सुनिश्चित किए बिना किसी भी व्यक्ति को परीक्षा देने, नियुक्ति पत्र लेने, संस्थानों में पढ़ाई करने या नौकरी करने की अनुमति नहीं मिलनी चाहिए।
डॉ. आनंद ने सुझाव दिया कि परीक्षा केंद्रों पर प्रवेश से पहले अभ्यर्थियों के चेहरे की वीडियोग्राफी अनिवार्य की जाए और नियुक्ति पत्र वितरण के समय भी चेहरे सहित रिकॉर्डिंग हो। उनका तर्क है कि इससे फर्जीवाड़े पर लगाम लगेगी और योग्य उम्मीदवारों का अधिकार सुरक्षित रहेगा।
चुनावी प्रक्रिया को लेकर उन्होंने चुनाव आयोग से अपील की कि मतदान के समय भी पहचान की पुख्ता व्यवस्था हो। इसके लिए हर मतदान केंद्र पर वीडियोग्राफी और वेबकास्टिंग जैसी तकनीकी सुविधाएं उपलब्ध कराने की बात कही गई, ताकि मतदान प्रक्रिया पर भरोसा और मजबूत हो सके।
इसी क्रम में डॉ. आनंद ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को लेकर सामने आई कथित धमकियों पर भी कड़ी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि बिहार के मुख्यमंत्री को धमकाने वाली ताकतों के खिलाफ समाज को सतर्क और एकजुट रहना चाहिए। डॉ. आनंद ने नीतीश कुमार को व्यापक सामाजिक वर्गों का नेता बताते हुए कहा कि ऐसे मुद्दों पर चुप्पी समाधान नहीं है।
उन्होंने देशवासियों से आह्वान किया कि वे राष्ट्र की एकता और संवैधानिक मूल्यों की रक्षा के लिए एकजुट रहें और किसी भी तरह की विभाजनकारी सोच का लोकतांत्रिक तरीके से विरोध करें।
यह बयान ऐसे समय में आया है जब देश में पहचान, सुरक्षा और चुनावी पारदर्शिता को लेकर चर्चा तेज है, और डॉ. निखिल आनंद की मांगों ने इस बहस को एक नया आयाम दे दिया

ब्यूरो रिपोर्ट