
पटना।
आधुनिक दौर में युवाओं को कम समय में किसी विशेष क्षेत्र में दक्ष बनाने के लिए “बूट कैंप” प्रशिक्षण मॉडल तेजी से लोकप्रिय हो रहा है। गहन और केंद्रित प्रशिक्षण पद्धति के रूप में बूट कैंप का उद्देश्य प्रतिभागियों को कम अवधि में कार्य के लिए पूरी तरह तैयार करना है।
विशेषज्ञों के अनुसार बूट कैंप को हिंदी में गहन प्रशिक्षण कार्यक्रम या प्रशिक्षण शिविर कहा जा सकता है। यह शारीरिक, मानसिक और बौद्धिक क्षमताओं के विकास पर आधारित होता है। सैन्य क्षेत्र में बूट कैंप का उपयोग रंगरूटों को अनुशासन, सहनशक्ति और बुनियादी सैन्य कौशल सिखाने के लिए लंबे समय से किया जाता रहा है।

वहीं तकनीकी क्षेत्र में कोडिंग, सॉफ्टवेयर विकास और डिजिटल स्किल्स से जुड़े बूट कैंप युवाओं को कुछ ही हफ्तों में रोजगार योग्य बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। इसी तरह फिटनेस क्षेत्र में बूट कैंप के माध्यम से कठोर शारीरिक अभ्यास कराए जाते हैं, जिससे कम समय में शारीरिक क्षमता में उल्लेखनीय सुधार देखा जा रहा है।
इसके अलावा लेखन, नेतृत्व विकास, प्रबंधन और व्यक्तित्व विकास जैसे क्षेत्रों में भी बूट कैंप मॉडल को अपनाया जा रहा है। शिक्षा और प्रशिक्षण से जुड़े जानकारों का मानना है कि यदि प्रशिक्षण की गुणवत्ता और उद्देश्य स्पष्ट हों, तो बूट कैंप युवाओं के लिए रोजगार और आत्मनिर्भरता के नए अवसर खोल सकते हैं।
बदलते समय में बूट कैंप जैसे गहन प्रशिक्षण कार्यक्रम युवाओं को व्यावहारिक कौशल से जोड़कर उन्हें आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में एक प्रभावी कदम साबित हो रहे हैं।
अजीत कुमार की रिपोर्ट
