पटना। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स), पटना के अस्थि-चिकित्सा विभाग में आज हिप प्रत्यारोपण विषयक उच्चस्तरीय चिकित्सकीय संगोष्ठी एवं प्रत्यक्ष अभ्यास कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में प्रदेश के अनेक वरिष्ठ अस्थि-विशेषज्ञों तथा प्रशिक्षु चिकित्सकों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया।

विभागाध्यक्ष डॉ. सुदीप कुमार ने बताया कि हिप प्रत्यारोपण आधुनिक चिकित्सा विज्ञान का अत्यंत परिवर्तनकारी उपचार है और एम्स पटना में वर्ष 2014 से यह प्रक्रिया सफलतापूर्वक की जा रही है। उन्होंने कहा कि हिप जोड़ों की सूजन और दर्द से पीड़ित रोगियों को इस उपचार से दीर्घकालिक राहत मिलती है तथा वे सामान्य जीवन की ओर लौट पाते हैं।

उन्होंने यह भी कहा कि यह संगोष्ठी भावी चिकित्सकों को सुरक्षित, प्रमाणिक एवं उच्च-स्तरीय शल्य–प्रक्रियाओं से परिचित कराने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल है।

एम्स पटना के चिकित्सकीय अधीक्षक डॉ. अनुप कुमार ने बताया कि संस्थान हिप प्रत्यारोपण सहित सभी अस्थि-चिकित्सा उपचारों को और अधिक सक्षम एवं व्यापक बनाने के लिए निरंतर प्रयत्नशील है।

कार्यक्रम का मुख्य आकर्षण प्रत्यक्ष अभ्यास सत्र रहा, जिसमें प्रशिक्षु चिकित्सकों को कृत्रिम हड्डी पर हिप प्रत्यारोपण की सूक्ष्म तकनीकों का व्यावहारिक प्रशिक्षण दिया गया।

इस संगोष्ठी में बाहरी आमंत्रित विशेषज्ञ डॉ. संजय यादव (वाराणसी) और डॉ. दीपक गौतम (मुंबई) ने भाग लेकर अपने अनुभव साझा किए।
साथ ही पटना के वरिष्ठ अस्थि-चिकित्सक—डॉ. बलगोविंद राजा, डॉ. वसीम अहमद, डॉ. आशीष सिंह, डॉ. रामकांत कुमार, डॉ. निषीअंत कुमार, डॉ. रितेश पांडेय, डॉ. अविनाश कुमार और डॉ. प्रभात अग्रवाल—ने भी विभिन्न शैक्षणिक सत्रों में सक्रिय सहभागिता की।

यह आयोजन हिप रोगों से जूझ रहे मरीजों के लिए उच्चस्तरीय चिकित्सकीय सेवाओं को सुदृढ़ करने के साथ-साथ अस्थि-चिकित्सा शिक्षा को अधिक व्यवहारिक और उन्नत बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम सिद्ध हुआ।

ब्यूरो रिपोर्ट अजीत यादव