पटना सिटी क्षेत्र के जीरो माइल बाईपास से सटे ट्रांसपोर्ट नगर की स्थिति वर्षों से बदहाल है। यहां हजारों मेडिसिन कंपनियों के दफ्तर, गोदाम और बड़े वेयरहाउस स्थित हैं, जो हर वर्ष सरकार को करोड़ों रुपये का टैक्स देते हैं। इसके बावजूद सड़क, नाला, जलनिकासी, स्ट्रीट लाइट और सफाई जैसी बुनियादी सुविधाओं का घोर अभाव इस क्षेत्र की सबसे बड़ी समस्या बनी हुई है।

पूरे बिहार सहित आसपास के कई राज्यों में दवाओं की सप्लाई यहीं से होती है। प्रतिदिन सैकड़ों ट्रक और कंटेनर यहां पहुंचते हैं, लेकिन सड़कों की हालत इतनी जर्जर है कि जगह-जगह बने गहरे गड्ढों के कारण वाहन हिचकोले खाते हुए गुजरते हैं। आए दिन ट्रकों के उलटने और क्षतिग्रस्त होने की घटनाएं सामने आती हैं, जिससे लाखों रुपये का नुकसान होता है। नाले और जलनिकासी की व्यवस्था नहीं होने से पूरे इलाके में जलजमाव बना रहता है, जबकि धूल का गुबार दिनभर उड़ता रहता है। इससे स्थानीय लोगों, व्यापारियों और कामगारों में सांस संबंधी बीमारियां बढ़ रही हैं।

व्यापारियों का कहना है कि सरकार के लिए यह क्षेत्र बड़ा राजस्व केंद्र है, लेकिन सुविधाओं के नाम पर कुछ नहीं किया गया है। पूरे इलाके में न सड़क है, न स्ट्रीट लाइट, न ही नियमित सफाई। भारी वाहनों की लगातार आवाजाही से धूल और गंदगी का ढेर इतना बढ़ गया है कि लोगों की दिनचर्या प्रभावित हो रही है। कई व्यवसायियों ने बताया कि खराब सड़कों और जाम की वजह से ट्रकों का फंसना, माल का नुकसान और समय पर सप्लाई न पहुंच पाना आम बात हो गई है।

स्थानीय लोगों और व्यापारियों का आरोप है कि वे कई बार मंत्री, विधायक और प्रशासनिक अधिकारियों को क्षेत्र की दुर्दशा से अवगत करा चुके हैं, लेकिन अब तक किसी ने इस महत्वपूर्ण व्यापारिक क्षेत्र की सुध नहीं ली। गर्मी में हालात खराब होते हैं, वहीं बारिश के मौसम में कीचड़, गड्ढों और जलजमाव के कारण स्थिति भयावह हो जाती है। ऐसे में करोड़ों का माल समय पर सप्लाई करना मुश्किल हो जाता है।

गंदगी, टूटी सड़कें और उड़ती धूल ने ट्रांसपोर्ट नगर को “नरक” जैसा बना दिया है। व्यापारियों और स्थानीय नागरिकों में भारी आक्रोश है। उनका कहना है कि करोड़ों रुपये टैक्स देने के बावजूद उपेक्षा समझ से परे है। चेतावनी दी गई है कि यदि जल्द कार्रवाई नहीं हुई तो वे बड़े जन आंदोलन के लिए मजबूर होंगे, जिसकी जिम्मेदारी सरकार और प्रशासन की होगी।

स्थानीय लोगों की प्रमुख मांग है कि ट्रांसपोर्ट नगर की सड़क का पुनर्निर्माण कराया जाए, सुचारू नाला और जलनिकासी प्रणाली विकसित की जाए, पूरे क्षेत्र में स्ट्रीट लाइट लगाई जाए और नियमित सफाई की व्यवस्था सुनिश्चित की जाए। उनका कहना है कि ट्रांसपोर्ट नगर पटना की व्यापारिक धुरी है और इसकी अनदेखी से आर्थिक गतिविधियों पर गहरा असर पड़ रहा है।
ब्यूरो रिपोर्ट अजीत यादव