
फुलवारी शरीफ। सर्वमंगला सांस्कृतिक मंच द्वारा आयोजित साप्ताहिक नुक्कड़ नाट्य–श्रृंखला के तहत महेश चौधरी की लेखनी और मिथिलेश कुमार पांडे के निर्देशन में तैयार नाटक “माता–पिता अनमोल रतन” का मंचन वाल्मी परिसर में किया गया।
कार्यक्रम की शुरुआत करण कुमार के मधुर सुरों में गाए गए गीत— “माता–पिता अनमोल रतन हैं, इनसे बढ़कर देव नहीं…”— से हुई, जिसने दर्शकों को भाव-विभोर कर दिया।
कहानी में दर्शाया गया कि एक विधवा मां घर–घर जाकर बर्तन साफ़ कर अपने तीन बेटों का लालन–पालन करती है। बड़ा बेटा पढ़ाई पूरी कर आईएएस बन जाता है और एक प्रतिष्ठित परिवार की लड़की से शादी करता है। वह मां को अपने साथ रखना चाहता है, पर उसकी पत्नी इसके लिए तैयार नहीं होती।
कुछ समय बाद मां बेटे से मिलने शहर पहुँचती है, लेकिन बेटा पत्नी की नाराज़गी के डर से उसे अपनाने में हिचकता है। आहत मां वापस गांव लौटने लगती है, तभी बीच रास्ते हुए सड़क हादसे में उसकी मौत हो जाती है। मां की लाश देखकर बेटा बिखर जाता है और पछतावे में कहता है— “मां, होते हुए भी मैं तुम्हें देख नहीं पाया, सचमुच अंधा था।” वह आत्मग्लानि में खुद को दोषी मानता है, तभी उसकी पत्नी भी अपनी गलती स्वीकार कर क्षमा मांगती है।
नाटक ने स्पष्ट संदेश दिया कि माता–पिता का आदर और सेवा ही मानवता का सर्वोच्च धर्म है।
नाटक में अभिनय करने वाले कलाकारों में— महेश चौधरी, सौरभ, करण, अमन, नमन, देवदर्शन, आमिर और अंशी शामिल रहे।
ब्यूरो रिपोर्ट अजीत यादव
