
पटना। फुलवारी शरीफ स्थित प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश की अदालत ने मेसर्स रुक्मणी बिल्डटेक प्राइवेट लिमिटेड और उसके निदेशकों को कड़ा निर्देश देते हुए 28 नवंबर 2025 तक 22,54,59,110 रुपये जमा करने का अंतिम आदेश दिया है। अदालत ने स्पष्ट किया है कि यदि यह राशि समय पर जमा नहीं की गई, तो कंपनी और उसके जिम्मेदार अधिकारियों की चल-अचल संपत्तियों पर कुर्की और जब्ती की कार्रवाई की जाएगी।
यह आदेश क्रियान्वयन वाद संख्या 58/2023 में डिक्री धारक एवं जमीन मालिक नागेश्वर सिंह स्वराज की याचिका पर पारित किया गया। सुनवाई के दौरान अदालत ने पाया कि रुक्मणी बिल्डटेक ने विकास समझौते (Development Agreement) की शर्तों का पालन नहीं किया और शेयर वितरण से संबंधित दस्तावेजों में हेराफेरी की गई, जिससे जमीन मालिक को लंबा समय तक परेशान किया गया। इसके चलते अदालत ने पहले ही बिल्डर की शेयर वाली संपत्तियों और उनसे संबंधित लेनदेन पर रोक लगा रखी थी।
पटना हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश संजय करोल द्वारा नियुक्त सोल आर्बिट्रेटर, सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति वी. एन. सिन्हा द्वारा 1 दिसंबर 2022 को पारित अवार्ड के अनुसार भुगतान होना था, लेकिन बिल्डर समूह ने अब तक राशि का भुगतान नहीं किया। अदालत ने रुक्मणी बिल्डटेक के प्रबंध निदेशक अजीत आज़ाद, निदेशक मानव कुमार सिंह, अमित कुमार चौबे, राजीव कुमार ठाकुर, रेणू आज़ाद, अशोक कुमार सिंह, अभिषेक अशोक कुमार सिंह और प्रबंधक सह अकाउंटेंट कमलेश कुमार की जिम्मेदारी स्पष्ट की है।
पीड़ित पक्ष के अधिवक्ता सत्यप्रकाश नारायण ने कहा कि यह फैसला सभी जमीन मालिकों के लिए मिसाल है, जो बिल्डरों की धोखाधड़ी और दबाव का सामना करते हैं। अदालत ने साफ संदेश दिया है कि कानून से ऊपर कोई नहीं है और रजिस्टर्ड डेवलपमेंट एग्रीमेंट की शर्तें ही इस व्यवस्था का आधार हैं।
ब्यूरो रिपोर्ट अजीत यादव
