पटना।
फुलवारी शरीफ विधानसभा में इस बार लोकतंत्र का उत्सव महिलाओं के जोश से सराबोर रहा। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के महिला सशक्तिकरण अभियान का असर यहां खुलकर देखने को मिला। सुबह से ही बूथों पर महिलाओं की लंबी कतारें दिखीं — किसी ने घरेलू जिम्मेदारी से पहले वोट डाला, तो किसी ने पति को सोता छोड़ मतदान केंद्र का रुख किया। परिणामस्वरूप इस बार 62.14 प्रतिशत की रिकॉर्ड तोड़ मतदान हुआ, जो पिछले चुनाव से करीब 10 प्रतिशत अधिक है।

ग्रामीण और शहरी, दोनों इलाकों में महिलाओं की सक्रियता ने चुनावी तस्वीर ही बदल दी। अल्पसंख्यक, दलित और पिछड़े वर्ग की महिलाएं भी इस बार जमकर बाहर निकलीं। नोहसा, मिलकीयाना और चौहरमल नगर जैसे इलाकों में सुबह से ही चहल-पहल रही। कई बूथों पर महिलाएं अपने बच्चों के साथ वोट डालने पहुंचीं, जिससे माहौल और उत्सवपूर्ण बन गया।

हालांकि, इस रोमांचक मतदान के बीच कुछ शिकायतों ने माहौल को तकरार भरा भी बना दिया। नोहसा के चार बूथों पर मतदाताओं ने मतदान की धीमी गति पर नाराज़गी जताई। वहीं गोरिया डेरा सामुदायिक भवन में 75 से अधिक लोगों ने नाम मतदाता सूची से गायब होने की शिकायत की। कई मृत व्यक्तियों के नाम सूची में पाए जाने से विवाद और गहराया। मतदाताओं ने बीएलओ और अधिकारियों पर मनमानी का आरोप लगाया।


सुरक्षा व्यवस्था को लेकर भी कुछ बूथों पर हंगामे हुए। चौहरमल नगर में हाफ पैंट और धोती पहनने वाले मतदाताओं को पहले मतदान केंद्र में रोक दिया गया, बाद में जदयू प्रत्याशी श्याम रजक के हस्तक्षेप से उन्हें वोट डालने की अनुमति मिली। मिलकीयाना में महिला मतदाताओं ने भी अतिरिक्त पहचान पत्र मांगने पर आपत्ति जताई। तमाम शिकायतों के बावजूद, फुलवारी शरीफ ने इस बार मतदान का जोश और जनभागीदारी दोनों में नया इतिहास रच दिया।

ब्यूरो रिपोर्ट अजीत यादव