
धमदाहा/पूर्णिया।
धमदाहा थाना क्षेत्र के सखुआ टोला में सोमवार सुबह हुई भीषण सड़क दुर्घटना ने पूरे इलाके को शोक और आक्रोश के माहौल में डुबो दिया। शराब से लदी एक तेज रफ्तार कार ने मॉर्निंग वॉक पर निकली तीन छात्र-छात्राओं को कुचल दिया। इस हादसे में दो होनहार छात्राओं — 19 वर्षीय राजनंदनी कुमारी और उसकी सहेली की मौके पर ही दर्दनाक मौत हो गई, जबकि एक अन्य छात्र गंभीर रूप से घायल हो गया, जिसकी स्थिति चिंताजनक बनी हुई है।
घटना के बाद स्थानीय लोगों में भारी आक्रोश फैल गया। गुस्साए ग्रामीणों ने शवों को सड़क पर रख कर घंटों तक आवागमन बाधित किया और प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी की।
शोकाकुल परिवारों से मिलने पहुंचे सांसद पप्पू यादव
मंगलवार को जन अधिकार पार्टी (लो) के संरक्षक एवं पूर्व सांसद राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव पीड़ित परिवारों से मिलने सखुआ टोला पहुंचे। उन्होंने grieving परिजनों को ढांढस बंधाते हुए घटना को “दिल दहला देने वाली त्रासदी” बताया।
सांसद यादव ने कहा,
> “दोनों बच्चियां गांव की शान थीं, पढ़ाई में अव्वल थीं और उनकी आंखों में अपने परिवार और समाज के लिए बड़ा सपना था। नीतीश कुमार की दिखावटी शराबबंदी नीति ने इन मासूम ज़िंदगियों को निगल लिया।”
सरकार पर तीखा हमला, मुआवजे की मांग
पप्पू यादव ने राज्य सरकार पर करारा हमला करते हुए कहा कि बिहार की शराबबंदी कानून अब केवल गरीब, दलित, महादलित, आदिवासी और मध्यमवर्गीय परिवारों को परेशान करने का औजार बनकर रह गया है। उन्होंने आरोप लगाया कि प्रदेश में प्रशासन और शराब माफियाओं की मिलीभगत से नशे का कारोबार दिन-दहाड़े फल-फूल रहा है।
उन्होंने सरकार से मृतक छात्राओं के परिवारों को 25-25 लाख रुपये मुआवजा देने और परिवार के एक-एक सदस्य को सरकारी नौकरी देने की मांग की। चेतावनी देते हुए उन्होंने कहा कि यदि सरकार जल्द से जल्द इस पर कोई ठोस कदम नहीं उठाती, तो वे सड़क से लेकर सदन तक आंदोलन करेंगे।
क्या है मामला
घटना सोमवार की सुबह की है जब तीन छात्र-छात्राएं नियमित रूप से मॉर्निंग वॉक पर निकले थे। इसी दौरान शराब से लदी एक तेज रफ्तार कार ने उन्हें कुचल दिया। मौके पर ही दो छात्राओं की मौत हो गई, जबकि तीसरा छात्र गंभीर रूप से घायल है और अस्पताल में उसका इलाज जारी है।
शराबबंदी पर सवाल
इस हादसे ने एक बार फिर बिहार की शराबबंदी नीति पर सवाल खड़े कर दिए हैं। जब सख्ती से लागू की गई शराबबंदी के बावजूद शराब की तस्करी और खुलेआम बिक्री हो रही है, तो सवाल यह उठता है कि अवैध शराब के धंधे पर सरकार और प्रशासन की पकड़ क्यों नहीं है?
ब्यूरो रिपोर्ट संतोष कुमार