
बिहटा।
जमीन मुआवजे की लड़ाई अब अध्यात्म के रास्ते से लड़ी जा रही है। पटना जिले के बिहटा प्रखंड के अमहारा गांव निवासी किसान और पूर्व पोस्टमास्टर अंगिरा शर्मा (84 वर्ष) वर्षों से आईआईटी पटना कैंपस में अधिग्रहित अपनी जमीन का उचित मुआवजा पाने के लिए प्रशासन और सरकार से गुहार लगा रहे हैं। अधिकारियों से लेकर मंत्रियों तक दरवाजा खटखटाने के बावजूद जब सुनवाई नहीं हुई तो अब उन्होंने भगवान का सहारा लेने का फैसला किया है।
शनिवार से उन्होंने प्रखंड के राघोपुर स्थित स्वामी सहजानंद सरस्वती आश्रम के ऐतिहासिक समाधि स्थल पर चार दिवसीय दुर्गा पाठ और रामायण पाठ शुरू कर दिया है। अंगिरा शर्मा का कहना है – “कई सालों से अपनी जमीन का मुआवजा मांग रहा हूं, लेकिन अब तक नहीं मिला। अब भगवान से प्रार्थना कर रहा हूं कि अधिकारियों और मंत्रियों की आंख खुले और वे किसान की समस्या को समझें।”

यह आंदोलन पूरी तरह धार्मिक स्वरूप लिए हुए है। रोज़ाना दो घंटे आश्रम में भजन–कीर्तन और रामायण पाठ के जरिए विरोध दर्ज कराया जा रहा है। आंदोलन की ख़बर फैलते ही कई लोग किसान से मिलने पहुंचे। भाजपा के भीष्म पितामह कहे जाने वाले रत्नेश्वर मिश्र ट्रस्ट के अध्यक्ष कैलाश चंद्र, कुश, विनेश रिशांक समेत कई सामाजिक कार्यकर्ताओं ने आकर उनका समर्थन किया। कैलाश चंद्र ने कहा – “किसानों को ठगने वालों को स्वामी जी की आत्मा कभी माफ नहीं करेगी। यह संघर्ष किसानों की आवाज है।”
इधर रूबन अस्पताल के निदेशक डॉ. सत्यजीत ने भी फोन पर किसान नेता अंगिरा शर्मा से बात कर उनके आंदोलन का समर्थन किया। उन्होंने कहा कि अगर देश के किसान इस तरह से शांति और भक्ति के रास्ते आंदोलन करेंगे तो सरकार को उनकी आवाज़ सुननी ही पड़ेगी।
गौरतलब है कि 26 अगस्त को पटना आईआईटी कैंपस में केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान और केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय दीक्षांत समारोह में शामिल होने आ रहे हैं। इससे पहले ही किसान ने इस आध्यात्मिक आंदोलन की शुरुआत कर सरकार और प्रशासन का ध्यान आकर्षित कर दिया है।
ब्यूरो रिपोर्ट निशांत कुमार