
नगवां कांड पर फूटा पिता का दर्द, पूर्व DGP भी हुए भावुक
पटना।
जानीपुर थाना क्षेत्र के नगवां गांव में भाई-बहन की नृशंस हत्या के बाद मामला लगातार तूल पकड़ता जा रहा है। घटना के चौथे दिन शनिवार को बिहार के पूर्व डीजीपी अशोक गुप्ता नगवां पहुंचे और शोकग्रस्त ललन गुप्ता के परिजनों से मुलाकात कर उन्हें सांत्वना दी। इस दौरान उन्होंने पीड़ित पिता की बात राज्य के वर्तमान डीजीपी विनय कुमार से मोबाइल पर कराई।
बातचीत के दौरान ललन गुप्ता ने बिलखते हुए डीजीपी से कहा – “फांसी से क्या होगा? जैसे मेरे बच्चों को जलाया गया, वैसे ही उन्हें मेरे सामने जलाया जाए। नहीं तो हम थाना में जाकर आत्मदाह कर लेंगे।” यह सुनकर वहां मौजूद हर शख्स की आंखें नम हो गईं। खुद पूर्व डीजीपी अशोक गुप्ता भी भावुक हो उठे।
उन्होंने डीजीपी विनय कुमार से अपील की कि इस दिल दहला देने वाली घटना की जांच उनके प्रत्यक्ष पर्यवेक्षण में हो और दोषियों को किसी भी हालत में बख्शा न जाए। उन्होंने प्रशासन से आग्रह किया कि इस मामले में जल्द और कठोर कार्रवाई हो ताकि पीड़ित परिवार को न्याय मिल सके।
पूर्व डीजीपी के साथ समाजसेवी संजय गुप्ता समेत कई गणमान्य लोग गांव पहुंचे थे। इस दौरान ग्रामीणों ने भी भारी संख्या में जुटकर एसएसपी को मौके पर बुलाने की मांग की।
घटना की पृष्ठभूमि:
31 जुलाई को नगवां गांव स्थित ललन गुप्ता के घर में उनकी 15 वर्षीय बेटी अंजलि और 10 वर्षीय बेटा अंशु मृत पाए गए थे। मां शोभा देवी काम से लौटने के बाद जब घर पहुंचीं, तो दरवाजे खुले हुए थे और अंदर से जलने की बदबू आ रही थी। ग्रामीणों की मदद से जब दरवाजा खुलवाया गया, तो अंजलि का शव जली हुई हालत में बिस्तर पर था जबकि अंशु का शव दूसरे कमरे में आंशिक रूप से जला हुआ मिला।
पुलिस ने मामले में त्वरित कार्रवाई करते हुए पड़ोस में रहने वाले शुभम और रोशन को गिरफ्तार किया है। पुलिस का दावा है कि प्रेम-प्रसंग के चलते इस घटना को अंजाम दिया गया। लेकिन पीड़ित परिवार इसे सिरे से खारिज करते हुए दोषियों को “जिंदा जलाकर सज़ा देने” की मांग कर रहा है।
प्रशासन पर उठ रहे सवाल:
ग्रामीणों और परिजनों का आरोप है कि स्थानीय प्रशासन की संवेदनहीनता से आक्रोश और बढ़ रहा है। ग्रामीणों ने चेतावनी दी है कि यदि जल्द कार्रवाई नहीं हुई, तो उग्र प्रदर्शन किया जाएगा।
अब निगाहें इस पर टिकी हैं कि डीजीपी और शासन-प्रशासन इस रोंगटे खड़े कर देने वाली घटना पर कितनी तेजी और संवेदनशीलता से कार्रवाई करते हैं।
ब्यूरो रिपोर्ट अजीत यादव