पटना।

जानीपुर थाना क्षेत्र में दो मासूम बच्चों की नृशंस हत्या के विरोध में हुए शांतिपूर्ण प्रदर्शन पर जिला प्रशासन द्वारा दर्ज झूठे मुकदमे के खिलाफ शुक्रवार को भाकपा (माले) और महागठबंधन के नेताओं ने विरोध जताया। बलरामपुर से भाकपा माले विधायक व विधायक दल के नेता महबूब आलम तथा फुलवारी शरीफ के विधायक गोपाल रविदास के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल ने बिहार के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) से मुलाकात कर ज्ञापन सौंपा।

नेताओं ने कहा कि जानीपुर में हुई जघन्य घटना के विरोध में जनता द्वारा स्वतःस्फूर्त रूप से शांतिपूर्ण प्रदर्शन किया गया था, जिसमें स्थानीय नागरिकों के साथ जनप्रतिनिधि भी शामिल हुए थे। किसी प्रकार की हिंसा, सड़क जाम या कानून-व्यवस्था में बाधा नहीं डाली गई थी। इसके बावजूद प्रशासन ने विधायक गोपाल रविदास सहित दस लोगों पर आपराधिक मामला दर्ज कर, लोकतांत्रिक विरोध की आवाज को कुचलने का प्रयास किया है।

प्रेस वार्ता में विधायक महबूब आलम ने कड़े शब्दों में कहा, “यह डबल इंजन सरकार का असली चेहरा है — एक तरफ अपराधियों को खुली छूट, दूसरी तरफ जनांदोलन और जनप्रतिनिधियों पर फर्जी मुकदमा। यह लोकतंत्र की हत्या है।”

राजनीति से प्रेरित कार्रवाई का आरोप
नेताओं ने एसएसपी द्वारा लगाए गए आरोपों को राजनीति से प्रेरित बताते हुए कहा कि यह पूरी कार्रवाई विपक्ष की आवाज को दबाने और जनता के आक्रोश को कुंद करने की साजिश है। दुकानों को स्थानीय जनता ने स्वेच्छा से बंद रखा था, जो जनआक्रोश और दुख का प्रतीक था।

डीजीपी से निष्पक्ष जांच की मांग
विधायक गोपाल रविदास ने बताया कि माले प्रतिनिधिमंडल ने पूरी घटना से संबंधित तथ्य डीजीपी को सौंपे हैं। डीजीपी ने निष्पक्ष जांच और आवश्यक कार्रवाई का आश्वासन दिया है।

नेताओं की मांग स्पष्ट –

1. शांतिपूर्ण प्रदर्शन पर दर्ज सभी फर्जी मुकदमों को अविलंब वापस लिया जाए।

2. दो मासूमों की हत्या के दोषियों को तत्काल गिरफ्तार कर कठोर सजा दी जाए।

3. भविष्य में लोकतांत्रिक आंदोलनों को अपराध के रूप में चिन्हित करने की प्रवृत्ति पर रोक लगे।



इस घटनाक्रम को लेकर पूरे राज्य में सियासी उबाल देखा जा रहा है, और महागठबंधन इसे जनता के अधिकारों पर हमला मान रहा है।

ब्यूरो रिपोर्ट अजीत यादव