
बिहार पशु विज्ञान विश्वविद्यालय में किसान संवाद कार्यक्रम, सैकड़ों किसानों ने रखा सुझाव
पटना।
भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) और बिहार पशु विज्ञान विश्वविद्यालय के संयुक्त तत्वावधान में पटना स्थित बामेती सभागार में किसान संवाद कार्यक्रम का आयोजन हुआ। इस कार्यक्रम में केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने राज्यभर से आए करीब 300 किसानों से सीधे संवाद किया। कार्यक्रम की शुरुआत संजय गांधी गव्य प्रौद्योगिकी संस्थान परिसर में पौधारोपण के साथ हुई, जिसमें सभी अतिथियों ने भाग लिया। बिहार के उपमुख्यमंत्री विजय कुमार सिन्हा और राज्य की पशु एवं मत्स्य संसाधन मंत्री रेणु देवी भी कार्यक्रम में मौजूद रहीं। कुलपति डॉ. इंद्रजीत सिंह ने पुष्पगुच्छ देकर अतिथियों का स्वागत किया।

अपने प्रेरक संबोधन में केंद्रीय मंत्री श्री चौहान ने कहा कि “खेती को समझना है तो खेत में उतरना होगा।” उन्होंने वैज्ञानिकों और नीति निर्माताओं को सुझाव दिया कि अब प्रयोगशाला की सीमाओं से निकलकर जमीनी स्तर पर काम करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि पहले अनुसंधान सिर्फ कागज़ों तक सीमित था, लेकिन अब किसानों की समस्याओं के आधार पर शोध किया जाएगा और समाधान खेत तक पहुँचाया जाएगा। उन्होंने किसानों को “वैज्ञानिक” की संज्ञा देते हुए कहा कि आज का किसान नवाचारों से लैस है — जैसे लीची की शेल्फ लाइफ बढ़ाने में उनकी भूमिका सराहनीय है।
मंत्री चौहान ने ‘वन टीम, वन टास्क’ की कार्यनीति की घोषणा की, जिसके तहत एक वैज्ञानिक टीम अब किसी एक विशेष विषय पर समर्पित शोध करेगी, जिससे परिणाम आधारित और उपयोगी समाधान निकाला जा सके। उन्होंने जैविक खेती को बढ़ावा देने, कृषि लागत को कम करने, उत्पादन एवं उत्पादकता बढ़ाने और खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने को सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता बताया।

कृषि इनपुट्स को लेकर मंत्री ने स्पष्ट रुख अपनाया और कहा कि रासायनिक खाद की जबरन बिक्री की शिकायतें मिल रही हैं। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि कोई विक्रेता किसानों पर जबरदस्ती रासायनिक खाद थोपता है, तो उसके खिलाफ एफआईआर दर्ज की जाएगी और लाइसेंस रद्द कर दिया जाएगा। उन्होंने किसानों से अपील की कि वे इस संबंध में बेझिझक शिकायत करें।
नीलगाय की समस्या पर केंद्रीय मंत्री ने कहा कि इस जानवर को ‘गाय’ कहना ही भ्रम पैदा करता है। उन्होंने बंध्याकरण और घेराबंदी जैसे समाधान सुझाए और कहा कि राज्य सरकार, मनरेगा और राष्ट्रीय कृषि विकास योजना (RKVY) के सहयोग से इस चुनौती से निपटा जाएगा। उन्होंने कहा कि मंत्रालय इसके लिए तात्कालिक और दीर्घकालिक दोनों समाधान पर गंभीरता से विचार कर रहा है।
कार्यक्रम के समापन पर मंत्री ने स्वदेशी उत्पादों के उपयोग को प्रोत्साहित करते हुए कहा कि जब किसान, वैज्ञानिक, विश्वविद्यालय और सरकार एक साथ मिलकर काम करेंगे, तभी भारत की कृषि व्यवस्था मजबूत होगी। उन्होंने कृषि रोडमैप के तहत बिहार सरकार द्वारा किए जा रहे कार्यों की सराहना करते हुए इसे समेकित कृषि विकास का प्रभावी उदाहरण बताया। कार्यक्रम का समापन निदेशक आटारी डॉ. अंजनी कुमार के धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ।
ब्यूरो रिपोर्ट अजीत यादव