
फुलवारी शरीफ।
पटना के फुलवारी शरीफ में स्थित संगत पर देवी मां काली के शीतला माता मंदिर से निकलने वाली ऐतिहासिक ‘माता की डाली (खप्पड़)’ यात्रा की सभी तैयारियां पूर्ण कर ली गई हैं। श्रद्धा और परंपरा के इस संगम को लेकर पूरे मंदिर परिसर को रंग-बिरंगी लाइटों और फूलों से भव्य रूप में सजाया गया है।
रविवार को शाम सात बजे के बाद हवन-पूजन के साथ यह खप्पड़ यात्रा प्रारंभ होगी। पुजारी के हाथों में अग्निवाला खप्पड़ लेकर यात्रा मंदिर से शुरू होकर टमटम पड़ाव, चौराहा गली, सदर बाजार, पेठिया बाजार और प्रखंड कार्यालय मोड़ होते हुए पुनः मंदिर लौटेगी।
सदियों से चली आ रही है यह अग्नि यात्रा
मंदिर समिति के अध्यक्ष देवेंद्र प्रसाद ने बताया कि इस परंपरा का मकसद महामारी और बुरी शक्तियों से मुक्ति दिलाना है। अग्नि लिए पुजारी के पीछे हजारों की संख्या में श्रद्धालु माता के जयकारों के साथ चलते हैं। इसे “माता की डाली” या “खप्पड़ पूजा” कहा जाता है।
स्वप्न से शुरू हुई थी परंपरा
मान्यता है कि एक सदी पहले फुलवारी शरीफ और इसके आसपास के क्षेत्रों में भयानक महामारी फैली थी। तब मंदिर के तत्कालीन पुजारी झमेली बाबा को स्वप्न में देवी मां के दर्शन हुए और उन्होंने खप्पड़ निकालकर नगर की परिक्रमा करने को कहा। अग्नि और धुएं से वातावरण शुद्ध होने की मान्यता के साथ यह यात्रा तब से लगातार निकाली जा रही है।
आस्था का महापर्व बन चुका है खप्पड़ पूजा
हर वर्ष इस अवसर पर दूर-दराज से श्रद्धालु इस पवित्र परिक्रमा में हिस्सा लेने आते हैं। रविवार को भी हजारों की भीड़ उमड़ने की संभावना है। स्थानीय लोगों के लिए यह केवल धार्मिक परंपरा नहीं, बल्कि सांस्कृतिक और सामाजिक एकता का प्रतीक बन चुकी है।
ब्यूरो रिपोर्ट अजीत यादव