
श्रीलाल शुक्ल का राग दरबारी अब नाटक बना – देखिए गांव-समाज का असली चेहरा!
पटना।
हिंदी साहित्य की सबसे सशक्त व्यंग्य रचनाओं में शुमार ‘राग दरबारी’ अब पटना के रंगमंच पर अपने पूरे व्यंग्यात्मक वैभव और तीखे सामाजिक कटाक्ष के साथ दस्तक देने जा रही है। यह प्रस्तुति चर्चित नाट्य संस्था दस्तक द्वारा तैयार की गई है और इसके पीछे की परिकल्पना, नाट्य-रूपांतरण व निर्देशन का भार संभाला है राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय से प्रशिक्षित वरिष्ठ रंगकर्मी पुंज प्रकाश ने। यह मंचन स्वर्गीय श्रीलाल शुक्ल के जन्मशताब्दी वर्ष के अवसर पर उन्हें एक कलात्मक श्रद्धांजलि है।
हाउस ऑफ वेराइटी, पटना में दिनांक 6 जुलाई 2025 को संध्या 6:45 बजे इस नाटक का भव्य उद्घाटन किया जाएगा। इसके बाद हर वीकेंड पर 12, 13, 19, 20, 26 और 27 जुलाई को भी यही मंचन निर्धारित समय पर होगा। बुक माई शो और हाउस ऑफ वेराइटी के काउंटरों पर 100 रुपये प्रति टिकट की दर से टिकट उपलब्ध हैं। यह नाटक साहित्य प्रेमियों, रंगकर्मियों और समसामयिक व्यंग्य पर रुचि रखने वाले दर्शकों के लिए एक अनूठा अनुभव होगा।
‘राग दरबारी’ उपन्यास एक कस्बाई गाँव शिवपालगंज की सामाजिक, राजनीतिक और शैक्षणिक व्यवस्था की पड़ताल करता है। ग्राम विकास और गरीबी हटाओ जैसे नारों की पोल खोलती यह रचना आज भी उतनी ही प्रासंगिक है जितनी 1967 में अपने प्रकाशन के समय थी। श्रीलाल शुक्ल को इस रचना के लिए 1969 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से नवाज़ा गया था। नाटक में गांव की सत्ता संरचना, शिक्षा प्रणाली और प्रशासनिक ढांचे के भीतर पल रहे भ्रांतिपूर्ण मूल्यों को मंच पर जीवंत किया गया है।
इस नाटक की सबसे बड़ी खासियत है इसमें पटना के 25 युवा रंगकर्मियों की भागीदारी, जिन्होंने महीनों के अभ्यास के बाद अपने पात्रों में जीवन डाला है। प्रमुख भूमिकाओं में मोहित कुमार (रंगनाथ), राहुल कुमार (वैद्यजी), श्रृष्टि और रश्मि (बेला), रवि राज (मोतीराम मास्टर), ईशान कश्यप (रुप्पन), पवन कुमार (प्रिंसिपल) और कई बहुपरत पात्रों को निभा रहे इरशाद आलम समेत अन्य युवा चेहरे मंच पर विविध सामाजिक प्रतीकों को साकार करते हैं।
प्रस्तुति की प्रकाश परिकल्पना विदुषी रत्नम ने की है, जबकि गति संचालन की जिम्मेदारी प्रिंस सूर्यवंशी ने निभाई है। मंच के पीछे सुचारु संचालन हेतु प्रबंधन रवि, तकनीकी सहयोग राम बाबू मिश्रा व पप्पू, और घोषणा विनीत कुमार द्वारा की जा रही है। नाटक के प्रचार-प्रसार का दायित्व मो. इरशाद आलम के पास है और समन्वयन में सुमन सिन्हा की महत्वपूर्ण भूमिका रही है।
नाट्य संस्था दस्तक की स्थापना 2 दिसंबर 2002 को पटना में हुई थी और तब से लेकर आज तक यह संस्था हरिशंकर परसाई, फणीश्वरनाथ रेणु, मोहन राकेश, कृशन चंदर और उदय प्रकाश जैसे रचनाकारों की कहानियों पर आधारित सशक्त प्रस्तुतियों के लिए जानी जाती रही है। संस्था ने ‘मेरे सपने वापस करो’, ‘गुजरात’, ‘हाय सपना रे’, ‘तीसरी कसम’, ‘निठल्ले की डायरी’, ‘पंचलाईट’, ‘पलायन’ जैसे नाटकों के माध्यम से रंगमंच को सामाजिक विमर्श से जोड़े रखा है।
निर्देशक पुंज प्रकाश रंगमंच, लेखन और प्रकाश परिकल्पना के क्षेत्र में तीन दशक से अधिक समय से सक्रिय हैं। उन्होंने ‘एक था गधा’, ‘अंधेर नगरी’, ‘जो रात हमने गुजारी मर के’ जैसे नाटकों का सफल निर्देशन किया है। रंगकर्म को केवल मंचन तक सीमित न मानते हुए उन्होंने ‘भूख’, ‘विंडो’, ‘नटमेठिया’, ‘चांद तन्हा आसमां तन्हा’ जैसे मौलिक नाटकों का लेखन भी किया है। ‘राग दरबारी’ के रूपांतरण को लेकर उन्होंने कहा, “यह केवल साहित्यिक प्रस्तुति नहीं, बल्कि हमारे समय का राजनीतिक दस्तावेज है। हमारा प्रयास रहा है कि हम इस क्लासिक रचना की आत्मा को रंगमंच पर जीवित कर सकें।”
ब्यूरो रिपोर्ट