
पटना।
रामकृष्ण नगर की गलियों में जब गोलियों की आवाज़ गूंजी, तब किसी ने नहीं सोचा था कि ये आवाज़ महज़ बदले की नहीं, बल्कि एक टूटे भाई की चीख है, जिसकी बहन अब इस दुनिया में नहीं रही। ये खौफनाक हत्या, बहन की बेबसी, प्रेम में छल, और सामाजिक शर्मिंदगी की वो कहानी है, जिसने सूरज को हत्यारा बना दिया।
गुरुवार की दोपहर रामकृष्ण नगर के चाँगड़ इलाके में सरेआम एक युवक को दौड़ा-दौड़ाकर गोलियों से छलनी कर दिया गया। मरने वाला युवक था कुंदन, जो कभी सूरज की नाबालिग बहन का प्रेमी था। उसी बहन का, जिसने अपने प्यार में विश्वासघात के बाद फांसी लगा ली थी।
वायरल वीडियो से हड़कंप, गिरफ्तार हुआ सूरज
घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हुआ, जिसमें देखा जा सकता है कि किस तरह से सूरज ने कुंदन को दौड़ा-दौड़ाकर गोलियों से भूना। पुलिस ने त्वरित कार्रवाई करते हुए संपतचक के बैरिया इलाके से सूरज को गिरफ्तार कर लिया। पूछताछ में सूरज ने हत्या की बात कबूल की, और जो कहा — वो रोंगटे खड़े कर देने वाला था।
“बताइए साहब, इस कलाई पर अब राखी कौन बाँधेगा?” — गिरफ्तार सूरज की ये चीख पुलिसवालों को भी खामोश कर गई।
कहानी एक प्रेम की, जो अश्लीलता में डूब गई
सूरज की नाबालिग बहन को कुंदन से प्यार था। घर के सामने ही किराए पर रहने वाला कुंदन पहले प्यार में दिखा, फिर तस्वीरों में उसकी अस्मत का सौदा करता दिखा। सूरज के हाथ जब बहन की अश्लील तस्वीरें लगीं, तो खून खौल उठा। शादी की बात करने गया, लेकिन कुंदन और उसके परिवार ने न सिर्फ रिश्ता ठुकराया बल्कि ताने देकर लौटा दिया।
अपमान और अवसाद में डूबी बहन ने आत्महत्या कर ली। लेकिन कुंदन की हेकड़ी यहीं नहीं रुकी — उसी लड़की के घर के सामने दूसरी शादी कर ली। हर दिन सूरज और उसका परिवार कुंदन की हँसी में अपनी बहन का अपमान महसूस करता रहा। और एक दिन, सूरज ने सब्र की हदें तोड़ दीं।
“मुझे कोई पछतावा नहीं…”
गिरफ्तारी के बाद भी सूरज ने दो टूक कहा:
“हमने बहन के साथ हुए अन्याय का बदला लिया है, मुझे कोई अफ़सोस नहीं है।”
उसने पुलिस को बताया कि कुंदन की बेशर्मी और समाज की चुप्पी ने उसे ये कदम उठाने पर मजबूर किया। उसने कहा कि उसका गुनाह मानता है, लेकिन बहन की आत्मा के सामने खुद को निर्दोष समझता है।
कानून का डंडा, न्याय का सवाल
पूर्वी सिटी एसपी रामदास ने बताया कि कुंदन की हत्या में प्रयुक्त हथियार को भी बरामद कर लिया गया है। थानाध्यक्ष आशुतोष कुमार झा ने कहा कि सूरज का बयान कलमबंद कर लिया गया है और आगे की कानूनी प्रक्रिया जारी है।
समाज को सोचने की ज़रूरत है
ये मामला केवल हत्या का नहीं है। ये कहानी है एक बहन की, जिसे प्यार में विश्वासघात मिला, एक परिवार की जिसे लोकलाज में चुप रहना पड़ा, और एक भाई की जो राखी की लाज नहीं बचा सका। सवाल यह है कि आखिर ऐसे मामलों में समाज कब जागेगा? कानून कब पीड़ित को पहले ही न्याय देगा ताकि कोई सूरज बनकर कानून हाथ में न ले?
ब्यूरो रिपोर्ट अजीत यादव