पटना।

पटना जिले के गौरीचक थाना क्षेत्र में हुए चर्चित गोलीकांड मामले में बरावां पंचायत की वर्तमान मुखिया राखी देवी को एक मामले (कांड संख्या 777/22) में जमानत मिल गई है, जबकि दूसरे मामले (कांड संख्या 776/22) में उनकी जमानत याचिका अभी लंबित है। इस मामले में पूर्व मुखिया धनंजय सिंह मधु ने पुलिस और प्रशासन पर गंभीर आरोप लगाए हैं।

धनंजय सिंह का कहना है कि उन्होंने मामले से जुड़े सभी आवश्यक दस्तावेज और साक्ष्य वरीय पुलिस अधिकारियों को सौंपे, इसके बावजूद गौरीचक थाना और ब्लॉक अधिकारियों की मिलीभगत के चलते पिछले दो वर्षों से मामले को जानबूझकर लंबित रखा गया। उनका आरोप है कि जांच में जानबूझकर देरी की गई, ताकि मुखिया पद पर बनी रहें और पंचायत का संचालन करती रहें।

गोलीकांड की पृष्ठभूमि पंचायत में हुए वित्तीय गबन और अनियमितताओं से जुड़ी बताई जाती है। धनंजय सिंह ने लोक शिकायत और सूचना का अधिकार अधिनियम के तहत जानकारी मांगी थी, जिसके बाद उन पर जानलेवा हमला हुआ। इस घटना से जुड़ा एक ऑडियो भी सामने आया है, जिसमें कथित रूप से मुखिया राखी देवी, उनके पति अमित सिंह और अन्य सहयोगियों के नाम हमले से पहले लिए जा रहे हैं।

पूर्व मुखिया का आरोप है कि प्राथमिकी दर्ज होने के बावजूद पंचायती राज विभाग के नियमानुसार न तो कोई कार्रवाई की गई, न ही कार्यपालक पदाधिकारी को इसकी सूचना दी गई। नियमानुसार यदि किसी मुखिया को प्राथमिकी दर्ज होने के 60 दिनों के भीतर जमानत नहीं मिलती है, तो उपमुखिया को प्रभार सौंपा जाना चाहिए। लेकिन इस नियम की भी अनदेखी की गई।

धनंजय सिंह ने आरोप लगाया कि इस पूरे मामले में पुनपुन के बीडीओ मानेन्द्र कुमार सिंह, जिला पंचायत राज पदाधिकारी मो. राशिद आलम और तत्कालीन डीपीआरओ संजय कुमार वर्मा की भूमिका संदिग्ध है। उन्होंने बताया कि उन्होंने दो बार लोक शिकायत दायर की, लेकिन अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई।

पूर्व मुखिया ने सरकार से इस पूरे मामले की उच्चस्तरीय जांच कराने और दोषियों पर कठोर कार्रवाई की मांग की है। उनका कहना है कि अगर प्रशासन निष्पक्ष होता, तो अभियुक्त को जमानत नहीं मिलती। मिलीभगत और भ्रष्टाचार के चलते कानून की अनदेखी हो रही है।

ब्यूरो रिपोर्ट अजीत यादव