नई दिल्ली।
22 अप्रैल 2025 को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले में 25 भारतीय और एक नेपाली नागरिक की जान गई। इस हमले को लेकर देश में गुस्सा और शोक का माहौल है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सऊदी अरब का दौरा बीच में छोड़कर तुरंत दिल्ली लौटकर सुरक्षा मामलों की कैबिनेट समिति (CCS) की आपात बैठक बुलाई। इस उच्चस्तरीय बैठक में पाकिस्तान के खिलाफ पांच बड़े फैसले लेकर साफ कर दिया गया कि भारत अब आतंकवाद के खिलाफ “जीरो टॉलरेंस” की नीति पर पूरी तरह अमल करेगा।

पानी की सप्लाई पर रोक: सिंधु जल संधि स्थगित
बैठक का सबसे बड़ा और ऐतिहासिक फैसला सिंधु जल संधि को तत्काल प्रभाव से रोकने का रहा। 1960 में हुई इस संधि के तहत पाकिस्तान को सिंधु, झेलम और चिनाब नदियों का 80% पानी मिलता है, जो उसकी कृषि अर्थव्यवस्था की रीढ़ है। इस पानी की आपूर्ति रोके जाने से पाकिस्तान के पंजाब और सिंध क्षेत्रों में खेती पर गहरा असर पड़ेगा। भारत का यह कदम एक तरह से “पानी की सर्जिकल स्ट्राइक” माना जा रहा है।

व्यापार पर रोक और सीमा सील
भारत ने अटारी-वाघा इंटीग्रेटेड चेक पोस्ट को भी तुरंत प्रभाव से बंद करने का ऐलान किया है। यह सीमा मार्ग भारत-पाकिस्तान के बीच सीमित व्यापार का मुख्य जरिया रहा है। इस फैसले से दोनों देशों के बीच चल रहा कृषि, कपड़ा और अन्य उत्पादों का आयात-निर्यात ठप हो जाएगा। इससे पाकिस्तान की कमजोर अर्थव्यवस्था को और झटका लगेगा और भारत की ओर से यह एक स्पष्ट आर्थिक संदेश भी माना जा रहा है।

वीज़ा कैंसिल और नागरिकों को निकाला जाएगा बाहर
सरकार ने SAARC वीज़ा छूट योजना (SVES) के तहत जारी सभी पाकिस्तानी नागरिकों के वीज़ा रद्द कर दिए हैं। भारत में मौजूद ऐसे सभी पाक नागरिकों को 48 घंटे के भीतर देश छोड़ने का आदेश दिया गया है। इसके अलावा भविष्य में भी किसी पाकिस्तानी को इस योजना के तहत भारत आने की अनुमति नहीं दी जाएगी। यह कदम सुरक्षा के लिहाज से उठाया गया है ताकि संदिग्ध व्यक्तियों की आवाजाही पर लगाम लगाई जा सके।

राजनयिक संबंधों में कटौती: उच्चायोगों से स्टाफ घटाया जाएगा
भारत ने नई दिल्ली स्थित पाकिस्तानी उच्चायोग के सैन्य, नौसेना और वायुसेना सलाहकारों को “पर्सोना नॉन ग्राटा” घोषित कर दिया है और उन्हें एक सप्ताह में देश छोड़ने का आदेश दिया गया है। जवाबी कदम के तौर पर भारत ने भी इस्लामाबाद स्थित अपने उच्चायोग से इन पदों को वापस बुलाने का फैसला किया है। दोनों उच्चायोगों में कुल कर्मचारियों की संख्या घटाकर 55 से 30 की जा रही है। यह सभी कदम पाकिस्तान पर राजनयिक दबाव बनाने की रणनीति का हिस्सा हैं, जो दर्शाते हैं कि भारत अब आतंक को लेकर कोई नरमी बरतने को तैयार नहीं है।

ब्यूरो रिपोर्ट