
पटना।
जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए दिल दहला देने वाले आतंकी हमले ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया है। हमले में 26 मासूम लोगों की जान गई, जिनमें पर्यटक, महिलाएं और बच्चे भी शामिल थे। जहां एक तरफ देश भर में इस जघन्य हमले की निंदा हो रही है, वहीं कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी के पति और बिजनेसमैन रॉबर्ट वाड्रा का बयान नए विवाद को जन्म दे गया है।
वाड्रा ने क्या कहा?
रॉबर्ट वाड्रा ने हमले पर शोक जताते हुए कहा, “मेरी गहरी संवेदनाएं उन लोगों के साथ हैं जिन्होंने इस आतंकी हमले में अपने परिजनों को खोया है। लेकिन हमें यह भी सोचना होगा कि इस तरह की घटनाएं क्यों हो रही हैं। देश में एक ऐसा माहौल बन गया है जिसमें मुसलमान खुद को कमजोर और असहज महसूस कर रहे हैं। यह प्रधानमंत्री के लिए एक सीधा संदेश है।”
‘हिंदू-मुसलमान का विभाजन आतंकी सोच को दे रहा है हवा’
वाड्रा ने अपने बयान में दावा किया कि आतंकी लोगों की पहचान देखकर हमला कर रहे हैं, जो इस बात का संकेत है कि समाज में एक गहरा धार्मिक विभाजन पैदा हो चुका है। उन्होंने कहा, “जब सरकार एक समुदाय को खुली छूट देती है और दूसरे को दबाने की कोशिश करती है, तो यह पूरी दुनिया देख रही है। इससे नफरत को बढ़ावा मिलता है और आतंक जैसे कृत्यों को समर्थन मिल सकता है।”
‘अगर धर्म और राजनीति को अलग नहीं किया गया तो हमले जारी रहेंगे’
वाड्रा ने कहा, “मस्जिदों में नमाज़ रोकी जा रही है, सर्वे कराए जा रहे हैं ताकि कोई मूर्ति मिल जाए। जब बाबर या औरंगज़ेब की बातें राजनीति में लाई जाती हैं, तो अल्पसंख्यक समुदाय को ठेस पहुंचती है। अगर ये सब नहीं रोका गया, तो इस तरह के आतंकी हमले बार-बार होते रहेंगे।”
सियासत गरमाई, बयान पर मचेगा सियासी तूफान?
रॉबर्ट वाड्रा के इस बयान से पहले ही दुखी देश में एक नई बहस छिड़ गई है। विपक्षी दलों के नेता जहां हमले को राष्ट्रीय सुरक्षा की नाकामी बता रहे हैं, वहीं वाड्रा का बयान इस पूरे मुद्दे को नया रंग दे सकता है।
अब देखना ये होगा कि कांग्रेस इस बयान से किनारा करती है या खुलकर समर्थन करती है। साथ ही यह भी दिलचस्प होगा कि प्रधानमंत्री और सत्तारूढ़ दल इस बयान पर क्या प्रतिक्रिया देते हैं। हालांकि इस तरह के राजनीतिक बयानों से बचने चाहिए चाहे पर हो या विपक्ष।
ब्यूरो रिपोर्ट