धमदाहा/पूर्णिया।

सोमवार को वीर नारायण चंद स्नातक महाविद्यालय में प्राचार्य प्रोफेसर शब्बीर आलम के नेतृत्व में भारत रत्न डॉ. भीमराव अंबेडकर की जयंती हर्षोल्लास के साथ मनाई गई। इस अवसर पर महाविद्यालय के शिक्षकों एवं कर्मचारियों ने डॉ. अंबेडकर के तैल चित्र पर पुष्प अर्पित कर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की।

कार्यक्रम के दौरान प्राचार्य प्रो. शब्बीर आलम ने डॉ. अंबेडकर के जीवन और उनके योगदान पर विस्तार से चर्चा करते हुए कहा कि वे भारतीय इतिहास के एक महान व्यक्तित्व थे। वे भारतीय संविधान के मुख्य शिल्पकार थे और उन्होंने दलित वर्गों के अधिकारों और सामाजिक न्याय के लिए संघर्ष किया। उनका जन्म 14 अप्रैल 1891 को मध्य प्रदेश के महू में महार जाति में हुआ था।

उन्होंने मुंबई के एल्फिंस्टन हाई स्कूल से अपनी शिक्षा की शुरुआत की और बाद में कोलंबिया विश्वविद्यालय (न्यूयॉर्क) और लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स से उच्च शिक्षा प्राप्त की। वर्ष 1916 में वे लंदन में ग्रेज इन से कानून की पढ़ाई करने गए। डॉ. अंबेडकर ने समाज में समानता, स्वतंत्रता और बंधुत्व के सिद्धांतों को जीवन में अपनाया और उनके विचार भारतीय संविधान की नींव बने।

सामाजिक आंदोलन में भी उनका योगदान अत्यंत महत्वपूर्ण रहा। 1927 में महाड़ सत्याग्रह और 1932 के पूना समझौते ने दलित वर्गों के लिए राजनीतिक आरक्षण का मार्ग प्रशस्त किया। उन्होंने 1936 में इंडिपेंडेंट लेबर पार्टी की स्थापना की, जिसने 1937 के बॉम्बे प्रेसीडेंसी चुनावों में भाग लिया और बाद में 1942 में इसे अनुसूचित जाति संघ में परिवर्तित किया।

इस अवसर पर महाविद्यालय के प्रोफेसर आभास कुमार सिंह, प्रोफेसर कौशल कुमार सिंह, प्रोफेसर मनीष कुमार सिंह, प्रोफेसर हर्षऊर रहमान, लिपिक सुमन कुमार चौधरी, अमरेंद्र कुमार सिंह, सत्यनारायण मंडल सहित सभी कर्मचारीगण उपस्थित थे।

ब्यूरो रिपोर्ट संतोष कुमार