
पटना।
बिहार की राजधानी पटना में एक सनसनीखेज फर्जीवाड़े का खुलासा हुआ है। भ्रष्टाचार और विभागीय जांच की आंच झेल रही पटना सदर की पूर्व डी सी एल आर मैत्री सिंह एक बार फिर कानूनी पचड़े में फंस गई हैं। उनके पिता लाल नारायण सिंह समेत कुल छह लोगों पर संपत्ति हड़पने, जालसाजी और जबरन दस्तखत करवाने जैसे गंभीर आरोप लगे हैं।
साजिश के तहत फ्लैट किया हड़पने का आरोप!
पीड़ित पक्ष के वकील सत्यप्रकाश नारायण के मुताबिक, पटना के संपतचक नगर परिषद अंतर्गत छत्रपति शिवाजी ग्रीन्स अपार्टमेंट के फ्लैट A-1/603 को लेकर बड़ा खेल रचा गया। आरोप है कि मैत्री सिंह ने अपने फुफेरे भाई कान्तेश रंजन सिन्हा उर्फ पिंकु और रुक्मणी बिल्डटेक लिमिटेड के निदेशकों के साथ मिलकर इस फ्लैट को फर्जी कागजातों के जरिए अपने पिता लाल नारायण सिंह के नाम रजिस्ट्री करा लिया।
गिरोह ने पीड़ित को बरसों तक गुमराह किया!
इस मामले का शिकार हुए नागेश्वर सिंह स्वराज को मैत्री सिंह और उनके पिता ने बरसों तक गुमराह कर रखा था। जब इलाके में इस फर्जीवाड़े की चर्चा फैलने लगी, तो पीड़ित पर दबाव बनाकर जबरन सादे कागज पर NOC के लिए दस्तखत करवाने की कोशिश की गई।
DCLR के पद पर आते ही शुरू हुई धोखाधड़ी?
चौंकाने वाली बात यह है कि 1 नवंबर 2023 को पटना सदर DCLR पद पर ज्वाइनिंग करते ही मैत्री सिंह ने अपने पूरे गिरोह को सक्रिय कर दिया। 29 नवंबर 2023 को पटना के कुम्हरार स्थित रघु कॉम्प्लेक्स अपार्टमेंट में पारिवारिक पते पर “मेसर्स लंघौरा रियल एस्टेट प्रा. लि.” नाम से एक कंपनी भी खोल ली।
अब कानूनी शिकंजे में पूरा गैंग!
पटना व्यवहार न्यायालय में इस मामले को लेकर IPC की धारा 316 (2), 318 (3)(4), 322, 329, 33 (1), 336 (2) (3), 34 (2), 351 (2) के तहत मुकदमा दर्ज कराया गया है। अब न्यायालय से इस पूरे फर्जीवाड़े पर सख्त कार्रवाई की मांग की गई है।
क्या अब इस संगठित गिरोह पर कसेगा कानून का शिकंजा? क्या पीड़ित को मिलेगा इंसाफ?
इस केस पर सभी की नजरें टिकी हुई हैं।