पटना।

बिहार सरकार ने पीरपैंती (भागलपुर) में 2400 मेगावाट की ताप विद्युत परियोजना के निर्माण के लिए सैद्धांतिक स्वीकृति प्रदान कर दी है। इस परियोजना का कार्यान्वयन टैरिफ आधारित प्रतिस्पर्धी निविदा (टीबीसीबी) के तहत होगा। यह कदम राज्य के ऊर्जा क्षेत्र में महत्वपूर्ण बदलाव लेकर आएगा और बिहार को ऊर्जा आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में बड़ा योगदान देगा।

पहले इस भूमि पर सौर ऊर्जा परियोजना स्थापित करने की योजना थी, लेकिन विशेषज्ञों ने इसके भू-भाग को सौर ऊर्जा के लिए उपयुक्त नहीं पाया। इसके बजाय, कोयला खदानों के पास स्थित इस स्थल पर ताप विद्युत परियोजना की संभावनाएं बेहतर पाई गईं। इससे न सिर्फ परिवहन लागत कम होगी, बल्कि ऊर्जा उत्पादन भी अधिक किफायती होगा।

नियुक्ति और विकास की दिशा

केंद्र सरकार ने इस परियोजना के लिए 2024 के केंद्रीय बजट में 21,400 करोड़ रुपये का बजट आवंटित किया था, जिससे यह स्पष्ट हो गया कि ताप विद्युत परियोजना ही व्यावसायिक दृष्टि से लाभकारी होगी। बीएसपीजीसीएल को नोडल एजेंसी के रूप में नियुक्त किया गया है और इस परियोजना का कार्यान्वयन बिहार सरकार द्वारा निर्धारित टैरिफ आधारित निविदा प्रक्रिया से किया जाएगा।

सरकार का दृष्टिकोण और आर्थिक पहलू

ऊर्जा मंत्री श्री बिजेंद्र प्रसाद यादव ने कहा कि यह परियोजना बिहार की ऊर्जा आवश्यकताओं को पूरा करने में अहम भूमिका निभाएगी। इसके तहत राज्य की विद्युत उत्पादन क्षमता में पर्याप्त वृद्धि होगी और औद्योगिक विकास को भी बढ़ावा मिलेगा।

ऊर्जा सचिव श्री पंकज कुमार पाल ने भी इस परियोजना को अत्याधुनिक तकनीक पर आधारित बताया, जिससे पर्यावरणीय प्रभाव कम होते हुए अधिकतम ऊर्जा उत्पादन होगा। साथ ही, कोयला परिवहन की लागत में कमी आएगी, जिससे उत्पादन किफायती होगा।

आगे का कदम: रोजगार और विकास

इस परियोजना से राज्य में प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार सृजन होगा। जल्द ही इस परियोजना के लिए टेंडर प्रक्रिया शुरू की जाएगी। राज्य सरकार का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि परियोजना का समय पर निर्माण हो और राज्य के नागरिकों को उचित दर पर बिजली उपलब्ध हो।

यह परियोजना बिहार के लिए न केवल ऊर्जा आत्मनिर्भरता का एक महत्वपूर्ण कदम साबित होगी, बल्कि राज्य के आर्थिक और औद्योगिक विकास को भी गति देगी।

ब्यूरो रिपोर्ट