पूर्णिया / धमदाहा।

विद्या विहार आवासीय आवासीय विद्यालय परोरा में दो दिवसीय संस्कार भारती मिथिला कला महा उत्सव के तत्वाधान में सामृद्धि के आधार पर अपना परिवार पर आधारित नाटक का आयोजन किया गया। बड़ा  नाटिकया का हस्तालिखित निदेशक अविनाश चंद्र मिश्र द्वारा लिखित शकुंतला सेवा सदन धमदाहा के कलाकारों द्वारा प्रस्तुत की गई, नाटकिया बड़ा कौन ग्रामीण समाज के ठेकेदार सेठ साहूकार की गलत नियत और हड़प नीति पर सवाल उठाता है। ऐसे ही नाटक गांव में साहूकार धनराज सेठ एवं उसका मुंशी हिसाबी और इस गांव के एक व्यक्ति फुलवा जो नाच नौटंकी कर जीवन यापन करता है इस पर घूमती हुई यह कहानी है। धनराज सेठ अपने मुंशी हिसाबी की सहायता से गांव के लोगों का जमीन जायदाद हरपता अपने नाम करता है इतना ही नहीं फुलवा के जमीन जायदाद के साथ-साथ उनकी पत्नी राधिया पर बुरी नजर रखता है राधिका के कहने पर फुलवा नाच नौटंकी छोड़कर अपना खेती-बाड़ी शुरू कर देता है। परंतु यह धनराज सेठ को रास नहीं आता है लेकिन धनराज सेठ और फुलवा को घर में सेवा के लिए लाता है। धनराज सेठ अपने ही कर्म जाल में फंसकर मर जाता है तथा फुलवा बाद ही नाटकीय साबित होता है। कलाकार के रूप में रमाशंकर स्वर्णकार धनंजय कुमार मिथुन कुमार आशिका कुमारी हेमंत कुमार निलेश कुमार खदानाउद्दीन आदि कलाकार ने भाग लिया। नाटक का निर्देशन रमाशंकर स्वर्णकार द्वारा किया गया।

पूर्णिया ब्यूरो संतोष कुमार