
पटना।
अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स), पटना के पल्मोनरी चिकित्सा विभाग द्वारा राष्ट्रीय पल्मोनरी सम्मेलन 2025 के अंतर्गत 11 दिसंबर से 14 दिसंबर तक पटना में दो विशेष व्यावहारिक प्रशिक्षण कार्यशालाओं का भव्य एवं सफल आयोजन किया गया। इन कार्यशालाओं में फेफड़ों की कार्यक्षमता जांच परीक्षण तथा चिकित्सीय थोराकोस्कोपी पर विस्तृत एवं व्यावहारिक प्रशिक्षण दिया गया।
पल्मोनरी चिकित्सा विभागाध्यक्ष डॉ. दीपेंद्र कुमार राय राष्ट्रीय पल्मोनरी सम्मेलन 2025 के स्थानीय वैज्ञानिक अध्यक्ष रहे और उन्होंने दोनों कार्यशालाओं का शैक्षणिक नेतृत्व किया। कार्यक्रम में देश के विभिन्न राज्यों से 150 से अधिक चिकित्सकों ने भाग लिया। राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय स्तर के ख्यातिप्राप्त विशेषज्ञों ने व्याख्यान प्रस्तुत किए तथा आधुनिक जांच विधियों का प्रत्यक्ष व्यावहारिक प्रदर्शन किया।

चिकित्सीय थोराकोस्कोपी कार्यशाला का समन्वय अतिरिक्त प्राध्यापक डॉ. सोमेश ठाकुर ने किया। इस दौरान अज्ञात कारणों से फेफड़ों के आसपास द्रव जमाव के निदान में चिकित्सीय थोराकोस्कोपी की उपयोगिता पर विशेष जोर दिया गया। प्रतिभागियों को प्रक्रिया की विधि, संकेत, सुरक्षा पहलू तथा प्रत्यक्ष प्रशिक्षण प्रदान किया गया। ब्रिटेन से आए विशेषज्ञ चिकित्सक डॉ. मुनावर ने इस विषय पर विशेष व्याख्यान देकर प्रतिभागियों का मार्गदर्शन किया।
फेफड़ों की कार्यक्षमता जांच परीक्षण कार्यशाला में श्वसन माप परीक्षण, शारीरिक वायु कक्ष परीक्षण तथा कार्बन मोनोऑक्साइड प्रसार क्षमता जांच का व्यावहारिक प्रशिक्षण दिया गया। इस अवसर पर डॉ. दीपेंद्र कुमार राय ने जांच परीक्षण का समग्र अवलोकन प्रस्तुत करते हुए फेफड़ों की एक पुरानी बीमारी के उपचार में हाल ही में विकसित एक नई और प्रभावी दवा की जानकारी दी, जिसे उन्होंने उपचार क्षेत्र में क्रांतिकारी बदलाव लाने वाली बताया।
दिल्ली स्थित मेट्रो अस्पताल से आए डॉ. दीपक तलवार ने शारीरिक वायु कक्ष परीक्षण एवं हृदय-फेफड़ा व्यायाम जांच पर व्याख्यान दिया। वहीं दिल्ली से डॉ. एस. के. छाबड़ा ने श्वसन माप परीक्षण तथा रांची से डॉ. अत्रि ने आवेग दोलनमिति जांच पद्धति पर अपने विचार साझा किए।
एम्स पटना के निदेशक ने दोनों कार्यशालाओं का उद्घाटन किया और पल्मोनरी चिकित्सा विभाग के शैक्षणिक एवं प्रशिक्षण प्रयासों की सराहना की। उन्होंने कहा कि इस प्रकार के आयोजन चिकित्सकों के ज्ञान और कौशल को अद्यतन करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
कार्यशालाएं प्रतिभागी चिकित्सकों के व्यावहारिक ज्ञान एवं निदान क्षमता को सुदृढ़ करने में अत्यंत उपयोगी सिद्ध हुईं और राष्ट्रीय पल्मोनरी सम्मेलन 2025, पटना की सफलता में अहम योगदान दिया।
अजीत कुमार की रिपोर्ट
