धमदाहा/पूर्णिया।
धमदाहा विधानसभा सीट पर चुनावी पारा इन दिनों चरम पर है। बिहार सरकार की मंत्री और जदयू-भाजपा गठबंधन की प्रत्याशी लेसी सिंह जहां अपनी जीत को विकास के मुद्दों पर आधारित बता रही हैं, वहीं पूर्व सांसद और जदयू छोड़कर राजद में शामिल हुए संतोष कुशवाहा के मैदान में उतरने से मुकाबला और रोमांचक हो गया है। चुनाव की घोषणा के साथ ही सभी राजनीतिक दलों के कार्यकर्ता अपने-अपने नेताओं और संभावित उम्मीदवारों के पक्ष में माहौल बनाने में जुट गए हैं। चाय-पान की दुकानों से लेकर बाजारों तक चर्चा का केंद्र धमदाहा ही बना हुआ है।

इस बार धमदाहा विधानसभा में जातीय समीकरण निर्णायक भूमिका निभा सकते हैं। कुल मतदाताओं की संख्या 2,64,000 है, जिसमें सबसे बड़ी संख्या 77,000 मुस्लिम मतदाताओं की है। इसके बाद 37,000 वैश्य, 35,000 ब्राह्मण, 34,000 कोयरी, 18,700 यादव, 9,500 पासवान, 8,500 भूमिहार, 8,400 कुर्मी, 5,600 राजपूत, 12,000 ऋषिदेव, 13,000 संथाल व धागर और अन्य 24,432 मतदाता हैं। राजनीतिक दल जातीय गणित को साधने में लगे हैं, खासकर राजद ‘माय समीकरण’ (मुस्लिम-यादव) के साथ लव-कुश समीकरण को भी जोड़ने की कोशिश कर रही है, जिससे मुकाबला त्रिकोणीय हो गया है।


धमदाहा विधानसभा क्षेत्र में कुल 41 पंचायतें और 337 मतदान केंद्र हैं। प्रमुख पंचायतों में धमदाहा मध्य, उत्तर, दक्षिण, मोग्लिया पुरन्दाहा, कुकरौन, वंशी, सरसी, रंगपुरा, पारसमणि, मजरा, कजरा, चुनापुर, रोहुआ, चम्पावती, बसहा, बेला, गरैया आदि शामिल हैं। 14 नवंबर को दूसरे चरण में होने वाले मतदान के दिन तय होगा कि विकास का मुद्दा भारी पड़ेगा या जातीय समीकरण। सभी दलों ने अपने-अपने उम्मीदवारों को जिताने के लिए पूरी ताकत झोंक दी है, जिससे धमदाहा का चुनावी रण और भी दिलचस्प हो गया है।

ब्यूरो रिपोर्ट संतोष कुमार