
पटना।
बिहार की राजनीतिक जमीन पर एक बार फिर चुनावी हलचल तेज हो गई है। सोमवार, 6 अक्टूबर को चुनाव आयोग ने बहुप्रतीक्षित बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की तारीखों का ऐलान कर दिया। राजधानी दिल्ली के विज्ञान भवन में दोपहर बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस कर मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने जानकारी दी कि राज्य में दो चरणों में मतदान होगा और 14 नवंबर को नतीजे घोषित किए जाएंगे। इसके साथ ही पूरे राज्य में आदर्श आचार संहिता तत्काल प्रभाव से लागू कर दी गई है। चुनावी तारीखों के एलान के साथ ही सत्ताधारी दलों से लेकर विपक्ष तक हर खेमे में हलचल तेज हो गई है।
चुनाव आयोग ने इस बार चुनावी प्रक्रिया को पारदर्शी और निष्पक्ष बनाने के लिए कई अहम कदम उठाए हैं। खास बात यह है कि इस बार 80 वर्ष से अधिक आयु के मतदाताओं को घर बैठे मतदान की सुविधा दी जाएगी, जबकि दिव्यांग मतदाताओं के लिए भी विशेष व्यवस्था की गई है। 22 साल बाद पहली बार वोटर लिस्ट का शुद्धिकरण किया गया है और हर पोलिंग बूथ पर औसतन 818 मतदाता होंगे। इसके अलावा इस बार के चुनाव में 17 नए प्रयोग किए जाएंगे, जिनमें ईवीएम में प्रत्याशियों की रंगीन तस्वीरें देना भी शामिल है, ताकि पहचान में आसानी हो सके।
आचार संहिता लागू होते ही चुनाव आयोग ने साफ कर दिया है कि अब कोई भी राजनीतिक दल सरकारी मशीनरी, वाहन या धन का उपयोग प्रचार-प्रसार के लिए नहीं कर सकेगा। न ही किसी सरकारी योजना की घोषणा, लोकार्पण या शिलान्यास किया जा सकता है। यहां तक कि सरकारी वेबसाइटों से नेताओं और दलों के नाम और तस्वीरें भी हटा दी जाएंगी। यदि किसी ने इन नियमों का उल्लंघन किया, तो चुनाव आयोग उसे बख्शेगा नहीं — न केवल राजनीतिक प्रतिबंध, बल्कि आपराधिक मामला और जेल तक की नौबत आ सकती है।
राज्य के 7 करोड़ 41 लाख मतदाताओं की निगाहें अब आगामी दो चरणों के मतदान पर टिकी हैं। संभावित तारीखें 6 और 11 नवंबर मानी जा रही हैं, जो छठ और दीपावली के बाद होंगी। ऐसे में चुनावी रंग तो चढ़ेगा ही, लेकिन इस बार आयोग की सख्त नजर हर नेता, हर वादे और हर रैली पर होगी। जनता की अदालत सजने को तैयार है — अब देखना है कि किसे मिलती है बहुमत की मुहर और कौन रह जाता है सत्ता की रेस से बाहर।
ब्यूरो रिपोर्ट