
फुलवारी शरीफ. बिहार पशु विज्ञान विश्वविद्यालय, पटना के प्रसार शिक्षा निदेशालय और पशु एवं मत्स्य संसाधन विभाग, बिहार सरकार के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित वेटरनरी सर्जन एवं पदाधिकारियों की पांच दिवसीय प्रशिक्षण श्रृंखला का समापन शुक्रवार को पशुचिकित्सा महाविद्यालय प्रांगण में हुआ.
इस प्रशिक्षण में राज्य के 50 पशु चिकित्सकों और पदाधिकारियों को हैंड्स-ऑन ट्रेनिंग सह रिफ्रेशर कोर्स प्रदान किया गया. यह कार्यक्रम पशु एवं मत्स्य संसाधन विभाग, बिहार सरकार द्वारा प्रायोजित था.
समापन सत्र को संबोधित करते हुए प्रसार शिक्षा निदेशक डॉ. एस. एन. दहिया ने कहा कि पशु चिकित्सकों की भूमिका केवल क्लिनिकल सेवाएँ देने तक सीमित नहीं रहनी चाहिए, बल्कि उन्हें किसानों और पशुपालकों तक आधुनिक तकनीक और ज्ञान पहुँचाने की जिम्मेदारी भी निभानी होगी. उन्होंने समेकित कृषि-पशुपालन प्रणाली को बढ़ावा देने और नस्ल सुधार कार्यक्रमों की उपयोगिता पर बल दिया.

डॉ. दहिया ने साहिवाल नस्ल की गाय पालन पर विशेष जोर देते हुए कहा कि बेहतर प्रजातियों को अपनाने से ग्रामीण पलायन की समस्या भी काफी हद तक कम हो सकती है.
उन्होंने प्रशिक्षण के सफल संचालन के लिए समन्वयक टीम डॉ. मोईन अंसारी, डॉ. शय्मा के.पी, डॉ. वाई. एस. जादौन, डॉ. मृतुंजय कुमार, डॉ. सरोज कुमार और डॉ. पुष्पेन्द्र की सराहना की.
यह प्रशिक्षण पशु चिकित्सकों की तकनीकी दक्षता को मजबूत करेगा और राज्यभर के पशुपालकों को गुणवत्तापूर्ण सेवाएँ उपलब्ध कराने में सहायक सिद्ध होगा.
ब्यूरो रिपोर्ट अजीत यादव