आरा (भोजपुर)।
उत्क्रमित माध्यमिक विद्यालय बेरथ, अगिआंव में हल्की बारिश होते ही जलजमाव और फिसलन से बच्चे रोजाना कठिनाइयों का सामना कर रहे हैं। विद्यालय परिसर तालाब की शक्ल ले लेता है, जहां मासूम बच्चे कई बार गिरकर चोटिल हो जाते हैं, कपड़े गंदे हो जाते हैं और पढ़ाई प्रभावित होती है। लेकिन अफसोस! इन मासूमों की समस्या पर न अधिकारी ध्यान दे रहे, न ही जनप्रतिनिधि।

प्रधानाध्यापक अक्षय कुमार ने बताया कि यह समस्या विद्यालय प्रबंधन के बूते से बाहर है। इसके लिए कई बार प्रखंड विकास पदाधिकारी, मनरेगा पीओ, वार्ड सदस्य, मुखिया, उप प्रमुख से लेकर जिला के उप विकास आयुक्त (डीडीसी) तक को आवेदन दिया गया। दर्जनों बार मुलाकात, फोन कॉल, ई-मेल, व्हाट्सएप संदेश भेजे गए। हर बार सिर्फ आश्वासन मिला, निदान नहीं।

प्रधानाध्यापक की मानें तो 9 सितंबर 2023 से लेकर 2 मई 2025 तक लगातार फरियाद की गई, लेकिन आज तक समाधान नहीं निकला। यहां तक कि मामला लोक शिकायत निवारण में भी डाला गया, मगर पंचायत प्रतिनिधियों ने इसे योजना में शामिल करने से टाल दिया।

मुखिया विनोद चौधरी, जो लगातार दो बार से पद पर हैं, ने भी इस गंभीर समस्या को कभी गंभीरता से नहीं लिया। जब उनसे पूछा गया तो उन्होंने सिर्फ इतना कहा कि “बीडीओ साहब से बात हो गई है, 2 अक्टूबर को योजना में शामिल कर लिया जाएगा।”

गांववाले और अभिभावक पूछ रहे हैं—
👉 क्या बच्चों की सुरक्षा और पढ़ाई इतनी सस्ती है कि इसे नजरअंदाज किया जा रहा है?
👉 क्या विकास सिर्फ कागजों और भाषणों में रह गया है?

प्रधानाध्यापक अक्षय कुमार निराश होकर कहते हैं—
“सूबे के मुख्यमंत्री न्याय के साथ विकास की बात करते हैं, लेकिन धरातल पर अधिकारी और जनप्रतिनिधि बच्चों की पीड़ा तक नहीं सुनते। यह सुशासन नहीं, उपेक्षा है।”

ब्यूरो रिपोर्ट अनील त्रिपाठी