
उत्तर-पूर्वी भारत को मिला अग्नि सुरक्षा का पहला साइंटिफिक सेंटर, आग से लड़ने की नई ताकत देगा यह सेंटर!
पटना।
आईआईटी पटना और बिहार सरकार के भवन निर्माण विभाग के बीच एक अहम करार हुआ है, जिसके तहत राज्य में अग्नि सुरक्षा के क्षेत्र में शोध, प्रशिक्षण और परीक्षण के लिए एक अत्याधुनिक केंद्र की स्थापना की जाएगी। इस “सेंटर ऑफ एक्सीलेंस फॉर फायर टेस्टिंग, ट्रेनिंग एंड रिसर्च लैबोरेट्री” की स्थापना आईआईटी पटना परिसर में की जाएगी, जो पूर्वी भारत में अपनी तरह की पहली सुविधा होगी।

इस महत्वाकांक्षी परियोजना के लिए लगभग ₹17.36 करोड़ की लागत निर्धारित की गई है। भवन निर्माण विभाग केंद्र की संरचना के निर्माण और अगले पांच वर्षों तक संचालन, प्रशिक्षण व उपकरणों के रखरखाव की जिम्मेदारी निभाएगा। वहीं, तकनीकी सहयोग, विशेषज्ञता और अनुसंधान नेतृत्व आईआईटी पटना द्वारा प्रदान किया जाएगा। यह पहल सरकारी भवनों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के साथ-साथ अग्नि दुर्घटनाओं की रोकथाम की दिशा में एक ठोस प्रयास मानी जा रही है।
केंद्र में फायर टेस्टिंग से जुड़ी उच्चस्तरीय प्रयोगशालाएं होंगी, जहां भवन निर्माण सामग्री की अग्नि प्रतिरोधकता, आग लगने पर संरचनाओं को होने वाले नुकसान और उसके समाधान के तरीकों पर गहन शोध किया जाएगा। साथ ही, अभियंताओं, तकनीशियनों और कर्मियों को फायर सेफ्टी और रेट्रोफिटिंग जैसी महत्वपूर्ण तकनीकों का प्रशिक्षण भी दिया जाएगा।
इस साझेदारी का उद्देश्य न केवल सरकारी भवनों की सुरक्षा को नई ऊंचाई देना है, बल्कि यह भारत को फायर सेफ्टी तकनीक के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में भी एक निर्णायक कदम है। इस केंद्र में बहुमंजिला इमारतों के लिए विशेष सुरक्षा रणनीतियों, आग के फैलाव के व्यवहार और स्थानीय निर्माण सामग्रियों की ज्वलनशीलता पर भी शोध किया जाएगा, जो पूरे क्षेत्र की सुरक्षा नीति को मजबूत आधार देगा।

सचिवालय सभागार में आयोजित हस्ताक्षर समारोह में आईआईटी पटना के निदेशक प्रो. टी. एन. सिंह और भवन निर्माण विभाग के सचिव कुमार रवि की मौजूदगी रही। साथ ही, परियोजना से जुड़े प्रमुख वैज्ञानिकों डॉ. अनुप केसरी और डॉ. वैभव सिंघल सहित कई वरिष्ठ अधिकारी कार्यक्रम में शामिल हुए। यह साझेदारी भविष्य की सुरक्षित संरचनाओं की नींव रखने की दिशा में एक ऐतिहासिक पहल बनकर सामने आई है।
ब्यूरो रिपोर्ट