
पटना।
राजधानी पटना के फुलवारी शरीफ समेत आसपास के इलाकों में शनिवार को ईद-उल-अजहा (बकरीद) का पर्व अकीदत और अमन-चैन के साथ मनाया गया। सुबह तय समय पर मस्जिदों, ईदगाहों और खानकाहों में बड़ी संख्या में नमाज़ी जुटे और अल्लाह की बारगाह में सजदा किया। खानकाह-ए-मुजिबिया, नया टोला, ईसापुर, हारून नगर, सब्ज़पूरा, अली नगर, आरके नगर, मिल्लत कॉलोनी, दरभंगा कॉलोनी और ईसा नगर जैसे इलाकों में नमाज़ियों की भारी भीड़ देखी गई। नमाज़ के बाद लोगों ने एक-दूसरे को गले लगाकर बकरीद की मुबारकबाद दी और अमन-चैन की दुआ मांगी।
त्योहार को लेकर सुरक्षा के चाक-चौबंद इंतजाम किए गए थे। रैपिड एक्शन फोर्स (RAF) के जवान, पुलिस बल और प्रशासनिक अधिकारियों ने संवेदनशील इलाकों में लगातार गश्ती की। खानकाह-ए-मुजिबिया और अन्य प्रमुख ईदगाहों के आस-पास मजिस्ट्रेट स्तर के अधिकारी भी तैनात रहे। पूर्व मंत्री और विधायक श्याम रजक ने खानकाह ए मुजिबिया में नमाज़ के बाद लोगों से गले मिलकर बकरीद की मुबारकबाद दी और कहा कि यह पर्व समाज में प्रेम, भाईचारा और सद्भाव को बढ़ावा देने वाला है। उनके साथ नगर परिषद के चेयरमैन आफ़्ताब आलम और अन्य जनप्रतिनिधि भी मौजूद रहे।
ईदगाहों और मस्जिदों से लौटकर लोगों ने अपने-अपने घरों में जानवरों की कुर्बानी दी। सब्जीबाग, दरियापुर, राजा बाजार, समनपुरा, कुर्जी, मैनपुरा और फुलवारी शरीफ के मुस्लिम बहुल इलाकों में कुर्बानी के बाद गरीबों और जरूरतमंदों में गोश्त बांटा गया। इस दौरान हर ओर आपसी सहयोग, भाईचारे और इंसानियत की मिसाल देखने को मिली। लोगों ने पड़ोसियों और रिश्तेदारों को भी कुर्बानी का हिस्सा पहुंचाया, ताकि सभी इस पर्व की बरकतों में शामिल हो सकें।
खुतबे के दौरान इमामों ने अपने संबोधन में कुर्बानी की असल भावना पर जोर देते हुए कहा कि अल्लाह को जानवर का गोश्त या खून नहीं, बल्कि बंदे की नीयत और तक़वा पसंद आता है। उन्होंने कहा कि यह पर्व त्याग, समर्पण और जरूरतमंदों की मदद का प्रतीक है। साथ ही, लोगों से अपील की गई कि कुर्बानी का हिस्सा उन घरों तक जरूर पहुंचाएं, जहां आर्थिक स्थिति के कारण कुर्बानी नहीं हो सकी। नमाज़ के साथ ही पूरे माहौल में आध्यात्मिक ऊर्जा और भाईचारे की भावना महसूस की गई।
वहीं पूर्व मंत्री श्याम रजक ने कहा, “बकरीद सिर्फ एक त्योहार नहीं, यह आपसी भाईचारे, प्रेम और एकता का संदेश है। फुलवारी शरीफ की गंगा-जमुनी तहजीब की यही खूबसूरती है कि यहां सभी धर्मों के लोग मिलजुलकर पर्व को मनाते हैं।”
ब्यूरो रिपोर्ट अजीत यादव