पटना।
पटना के बहुप्रतीक्षित डबल-डेकर फ्लाईओवर प्रोजेक्ट की रफ्तार अब तेज़ हो गई है। शुक्रवार को जिलाधिकारी पटना डॉ. त्यागराजन एस.एम. ने कारगिल चौक से पटना साइंस कॉलेज तक निर्माणाधीन 2.2 किलोमीटर लंबे दो-लेन डबल-डेकर एलिवेटेड कॉरिडोर का औचक स्थलीय निरीक्षण किया। इस दौरान उनके साथ बिहार राज्य पुल निर्माण निगम लिमिटेड, पटना मेट्रो रेल कॉरपोरेशन तथा अन्य संबंधित विभागों के वरीय अधिकारी मौजूद थे। डीएम ने कहा कि प्रोजेक्ट लगभग पूर्णता की ओर है और जो भी बाधाएं बची हैं, उन्हें प्राथमिकता पर हल किया जा रहा है।

जिलाधिकारी ने बताया कि फ्लाईओवर का ऊपरी डेक (टियर-2) कारगिल चौक से पटना साइंस कॉलेज तक और निचला डेक (टियर-1) पटना कॉलेज मेन गेट से बीएन कॉलेज मेन गेट तक बनकर तैयार है। उन्होंने बताया कि डेक की चौड़ाई 8.5 मीटर रखी गई है और 90% सर्विस रोड का कार्य भी पूरा कर लिया गया है। पटना सदर के एसडीओ को शेष भूमि विवादों को जल्द सुलझाने का निर्देश दिया गया है।

निरीक्षण के दौरान पुल निर्माण निगम के अभियंता ने बताया कि अंजुमन इस्लामिया हॉल के समीप बीएमएसआईसीएल द्वारा निर्मित तीन मल्टी लेवल कार पार्किंग को फ्लाईओवर से जोड़ने का कार्य अभी शेष है। डीएम ने इस कार्य में समन्वय बनाकर तेजी लाने का निर्देश दिया और कहा कि इससे पीएमसीएच तीन स्थानों से फ्लाईओवर से जुड़ जाएगा। उन्होंने पटना मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन और पुल निर्माण निगम को आपसी तालमेल से कार्य को शीघ्र पूरा करने का आदेश भी दिया।

डॉ. त्यागराजन ने कहा कि गांधी मैदान से पटना साइंस कॉलेज की ओर जाने के लिए ऊपरी डेक और इसके विपरीत दिशा के लिए निचला डेक यातायात को समर्पित रहेगा। यह डबल-डेकर कॉरिडोर एनआईटी पटना, पटना साइंस कॉलेज, बीएन कॉलेज जैसे प्रमुख शिक्षण संस्थानों तक सीधा और सुविधाजनक संपर्क देगा। इसके अलावा जेपी गंगापथ से कृष्णा घाट होते हुए कच्ची दरगाह और पटना सिटी की ओर जाने वालों को भी बेहतर सुविधा मिलेगी।

डीएम ने स्पष्ट किया कि प्रशासन राजधानी के नागरिकों को बेहतर सुविधा देने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है। नियमित अतिक्रमण हटाओ अभियान से यातायात पहले ही सुगम हुआ है और अब मेट्रो एवं फ्लाईओवर परियोजनाओं के पूरा होने से वर्ष 2025 तक पटना की यातायात व्यवस्था में बड़ा बदलाव आएगा। उन्होंने सभी कार्यों की नियमित निगरानी एवं सहयोग के लिए पटना सदर के एसडीओ और डीएसपी को भी निर्देशित किया। निरीक्षण करीब दो घंटे चला, जिसमें काम की गुणवत्ता और गति की गहराई से समीक्षा की गई।

ब्यूरो रिपोर्ट