पटना।
बिहार में आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर सियासी हलचल तेज़ हो चुकी है। राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) में सीट बंटवारे को लेकर प्रारंभिक सहमति बनती दिखाई दे रही है। विश्वस्त सूत्रों की मानें तो एनडीए में शामिल पांचों घटक दलों के बीच सीटों के बंटवारे को लेकर पटना में पहला दौर की बातचीत पूरी हो चुकी है, और अब दिल्ली में निर्णायक वार्ता की तैयारी है। अंदरखाने यह तय माना जा रहा है कि लोकसभा चुनाव के दौरान अपनाए गए ‘सम्मानजनक साझेदारी’ के फॉर्मूले को ही विधानसभा चुनाव में भी आधार बनाया जाएगा।

सूत्रों के मुताबिक, नीतीश कुमार की अगुवाई वाली जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) को 243 में से 102 से 103 सीटें मिल सकती हैं, जबकि भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) को 101-102 सीटें दी जा सकती हैं। यानी दोनों प्रमुख दल लगभग बराबरी की स्थिति में चुनाव लड़ेंगे। वहीं, चिराग पासवान की लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) को इस बार गठबंधन में अहम स्थान मिलने जा रहा है। पार्टी के पास पांच सांसद होने के कारण उसे 25 से 28 सीटें दी जा सकती हैं।

एनडीए के छोटे लेकिन सक्रिय सहयोगी दलों में जीतन राम मांझी की हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा (हम) को 6 से 7 और उपेंद्र कुशवाहा की राष्ट्रीय लोक मोर्चा को 4 से 5 सीटें देने का प्रस्ताव है। गठबंधन के रणनीतिकारों की माने तो इस फार्मूले को जातीय संतुलन, स्थानीय समीकरण और मौजूदा राजनीतिक स्थिति को ध्यान में रखते हुए तैयार किया गया है। कोशिश यह भी होगी कि एक ही जिले में सहयोगी दलों के बीच जातीय टकराव न हो और उम्मीदवारों की पहचान एक-दूसरे से भिन्न रहे, ताकि एनडीए को अधिकतम सामाजिक समर्थन मिल सके।

बीजेपी के रणनीतिकारों ने साफ संकेत दिया है कि इस बार भी चुनाव नीतीश कुमार के चेहरे पर ही लड़ा जाएगा। भाजपा नेताओं का कहना है कि मुख्यमंत्री के रूप में नीतीश की स्वीकार्यता और सुशासन का अनुभव गठबंधन की सबसे बड़ी ताकत है। उनके स्वास्थ्य को लेकर विपक्ष जो भी सवाल उठा रहा है, वह उलटा उसी पर भारी पड़ सकता है। पार्टी का मानना है कि मोदी और नीतीश की जोड़ी एक बार फिर बिहार में सत्तारूढ़ गठबंधन की वापसी सुनिश्चित करेगी।

गौरतलब है कि 2020 के विधानसभा चुनाव में एनडीए ने कुल 125 सीटें जीती थीं, जिसमें बीजेपी ने 74 और जेडीयू ने 43 सीटें हासिल की थीं। उस वक्त वीआईपी और ‘हम’ भी एनडीए का हिस्सा थे। इस बार हालांकि वीआईपी गठबंधन से बाहर है, लेकिन चिराग पासवान की वापसी और पांच सांसदों वाली लोजपा (रामविलास) की मजबूती से एनडीए का गणित और मजबूत हुआ है। अंतिम फैसला अभी औपचारिक ऐलान से बाकी है, लेकिन NDA खेमे में समीकरण लगभग तय माने जा रहे हैं।

इस बार का विधानसभा चुनाव अक्टूबर-नवंबर में होने की संभावना है और सियासी दलों ने अपनी जमीन तैयार करनी शुरू कर दी है। एनडीए के लिए जहां सीट बंटवारा एकजुटता का संदेश दे रहा है, वहीं विपक्ष के लिए यह चुनौती से कम नहीं। आगामी दिनों में सीटों की औपचारिक घोषणा और उम्मीदवारों के नाम से बिहार की राजनीति में और गरमी आनी तय है।

ब्यूरो रिपोर्ट