पटना।

बिहार की बिजली व्यवस्था को और अधिक भरोसेमंद, स्थिर और हरित बनाने की दिशा में बड़ा कदम उठाया गया है। राज्य के 16 प्रमुख ग्रिड उपकेंद्रों पर अब बैटरी एनर्जी स्टोरेज सिस्टम (BESS) लगाए जाएंगे, जिससे 500 मेगावाट-ऑवर तक की बिजली संग्रहित की जा सकेगी। इस प्रणाली के जरिए अधिशेष बिजली को संग्रहित कर जरूरत के समय वापस ग्रिड में भेजा जा सकेगा। खासतौर से सौर ऊर्जा जैसी नवीकरणीय ऊर्जा का अधिकतम उपयोग सुनिश्चित होगा और पावर कट जैसी समस्याओं में भी भारी कमी आने की उम्मीद है।

बिहार स्टेट पावर जेनरेशन कंपनी लिमिटेड इस परियोजना को राज्य योजना मद के तहत क्रियान्वित कर रही है। इसके तहत कुल 125 मेगावाट की बैटरी क्षमता विकसित की जाएगी, जो 500 मेगावाट-ऑवर ऊर्जा भंडारण कर सकेगी। इस योजना में मुज़फ्फरपुर, मोतिहारी, बेतिया, सीतामढ़ी, फतुहा, मुरलीगंज, भागलपुर (नया), किशनगंज, सिवान, बांका सहित 16 स्थानों को चुना गया है, जहां 5 से 20 मेगावाट की बैटरियां लगाई जाएंगी।

इस परियोजना को लेकर देशभर की बड़ी कंपनियों से रुचि आमंत्रित की गई है। खुली निविदा प्रक्रिया के तहत अब तक 11 कंपनियों ने अपनी भागीदारी जताई है। ऊर्जा सचिव पंकज कुमार पाल ने बताया कि यह योजना राज्य की ऊर्जा नीति में ऐतिहासिक मोड़ साबित होगी। खासकर पीक डिमांड के समय यह स्टोरेज सिस्टम बिजली आपूर्ति को स्थिर बनाए रखेगा और वितरण कंपनियों को महंगी दर पर बिजली खरीदने से बचाएगा।

ऊर्जा मंत्री विजेंद्र प्रसाद यादव ने इस पहल को बिहार को ऊर्जा आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में क्रांतिकारी कदम बताया है। उन्होंने कहा कि यह परियोजना राज्य में 24×7 गुणवत्तापूर्ण बिजली आपूर्ति सुनिश्चित करने की दिशा में बड़ी भूमिका निभाएगी। साथ ही, यह हरित ऊर्जा को बढ़ावा देने और पर्यावरण संरक्षण के लक्ष्य को भी मजबूत करेगी।

ब्यूरो रिपोर्ट