फुलवारी शरीफ/पटना)।
ईमारत-ए-शरीअत बिहार, ओडिशा और झारखंड की मजलिस-ए-अरबाब-ए-हल व अक़्द की अहम बैठक 25 मई 2025 को अमीर-ए-शरीअत हजरत मौलाना अहमद वली फैसल रहमानी की अध्यक्षता में अल-मुहद अल-आली के भव्य कॉन्फ्रेंस हॉल में संपन्न हुई। इस बैठक में बिहार, झारखंड, ओडिशा और पश्चिम बंगाल के 541 प्रतिनिधियों ने भाग लिया और शरीयत के मुताबिक जीवन जीने तथा संस्था की अखंडता बनाए रखने का संकल्प लिया।

बैठक में वक्ताओं ने इमारत-ए-शरीअत पर पिछले दिनों हुए कथित गैर-कानूनी कब्जे और संस्था के नाम पर की गई धोखाधड़ी की कड़ी निंदा की। 29 मार्च 2025 को हुए इस घटनाक्रम में मौलाना अनीसुर्रहमान कासमी, मौलाना मोहम्मद शिबली कासमी और उनके समर्थकों द्वारा इमारत की संपत्ति, लेटरहेड और मोहर का कथित दुरुपयोग किया गया। इन गतिविधियों को मजलिस ने गैर-शरई और संस्थान विरोधी बताते हुए सख्त कार्रवाई की मांग की और अमीर-ए-शरीअत को पूर्ण समर्थन दिया।

बैठक में वक्फ संपत्तियों की सुरक्षा और वक्फ एक्ट 2025 के विरोध को लेकर आंदोलन को और तेज करने का निर्णय लिया गया। तय किया गया कि हर गुरुवार को रोज़ा रखा जाएगा, सामूहिक इफ्तार होगा, शुक्रवार को काली पट्टी बांधकर नमाज अदा की जाएगी और शनिवार की रात फ्लैशलाइट से शांतिपूर्ण विरोध जताया जाएगा। इसके अतिरिक्त गांधी मैदान में एक विशाल सम्मेलन आयोजित करने की योजना भी पारित की गई।

वोटर आईडी को लेकर भी विशेष चर्चा हुई, जिसमें मुस्लिम समाज को लोकतांत्रिक प्रक्रिया में सक्रिय भागीदारी के लिए प्रोत्साहित किया गया। युवाओं को वोटर आईडी बनवाने और मतदान में भाग लेने के लिए प्रेरित करने की अपील की गई।

ट्रस्ट के वर्तमान स्वरूप में समय और कानून के अनुरूप सुधार की आवश्यकता जताई गई। साथ ही नशाखोरी, युवाओं में बिगड़ते सामाजिक व्यवहार और महिलाओं के आर्थिक शोषण के खिलाफ भी आवाज़ उठाई गई। यह तय किया गया कि इमारत-ए-शरीअत के शैक्षणिक और सामाजिक कार्यक्रमों में इन विषयों को शामिल कर व्यापक जागरूकता अभियान चलाया जाएगा।

बैठक में हजरत अमीर-ए-शरीअत ने कहा कि इमारत-ए-शरीअत इस्लामी विचारधारा की व्यावहारिक तस्वीर है और इसके बंटवारे की कोई गुंजाइश नहीं है। उन्होंने मिल्लत के भीतर फैलाई जा रही गलतफहमियों को दूर करने पर बल दिया और कहा कि संस्था की एकता और अखंडता को हर हाल में बनाए रखा जाएगा।

नायब अमीर-ए-शरीअत मौलाना मोहम्मद शमशाद रहमानी कासमी ने कहा कि कठिन समय जीवंत कौमों की परीक्षा होता है, जिससे डरना नहीं बल्कि उभरना चाहिए। मौलाना मुफ्ती मोहम्मद सईदुर्रहमान कासमी ने 29 मार्च की घटना को नाकाम साजिश बताते हुए कहा कि अल्लाह ने इस संस्था की हिफाजत की है। अन्य वक्ताओं ने अमीर-ए-शरीअत के नेतृत्व में संस्था की प्रगति और स्थिरता पर विश्वास जताया।

बंगाल, झारखंड और ओडिशा से आए प्रतिनिधियों ने अमीर-ए-शरीअत के नेतृत्व को मजबूत करने और हर तरह से सहयोग का आश्वासन दिया। चेयरमैन फुलवारी शरीफ नगर परिषद श्री आफताब आलम और वरिष्ठ अधिवक्ता जावेद इकबाल समेत कई समाजसेवियों ने संस्था के साथ अपनी प्रतिबद्धता दोहराई।

बैठक का संचालन मौलाना मुफ्ती वसी अहमद कासमी ने किया। मजलिस ने यह स्पष्ट किया कि इमारत-ए-शरीअत की अस्मिता, विचारधारा और उसकी संस्थागत मर्यादा की रक्षा के लिए कोई भी बलिदान देने को तैयार है।

ब्यूरो रिपोर्ट अजीत यादव