पटना।

मंगलवार को पटना स्थित बापू सभागार में नालंदा ओपन यूनिवर्सिटी का 17वां दीक्षांत समारोह अत्यंत भव्य एवं गरिमामय वातावरण में संपन्न हुआ। समारोह में 2023 और 2024 बैच के 4,000 से अधिक छात्र-छात्राओं को स्नातक और स्नातकोत्तर की उपाधियाँ प्रदान की गईं।

इस अवसर पर बिहार के राज्यपाल एवं विश्वविद्यालय के कुलाधिपति मोहम्मद आरिफ मोहम्मद खान ने समारोह की अध्यक्षता करते हुए कहा कि दीक्षांत शिक्षा का अंत नहीं, बल्कि शिक्षित जीवन के सार्थक उपयोग की शुरुआत है। उन्होंने छात्रों से आग्रह किया कि वे अपने ज्ञान का उपयोग समाज के अंतिम व्यक्ति तक पहुँचने के लिए करें। राज्यपाल ने कहा, “जब शिक्षा समाज के वंचितों तक पहुँचेगी, तभी सच्चे लोकतंत्र की स्थापना होगी।”

समारोह के मुख्य अतिथि इग्नू के पूर्व कुलपति प्रो. नागेश्वर राव थे। उन्होंने छात्रों को कड़ी मेहनत के लिए बधाई दी और समाज के स्वस्थ विकास में योगदान देने का आह्वान किया।

इस बार 53 विद्यार्थियों को स्वर्ण पदक प्रदान किए गए, जिनमें 42 छात्राएं थीं। राज्यपाल ने इसे महिला सशक्तिकरण का प्रतीक बताते हुए कहा, “भारत को महाशक्ति बनाने में बेटियों की भूमिका निर्णायक है।”

समारोह के दौरान छात्र पारंपरिक परिधानों में नजर आए। महिलाएं नींबू पीले रंग की साड़ी या कुर्ता-सलवार तथा लाल ब्लाउज में थीं, जबकि पुरुषों ने सफेद धोती या कुर्ता-पायजामा धारण किया था। सभी को मालवीय पगड़ी और अंगवस्त्रम प्रदान किया गया।

नालंदा ओपन यूनिवर्सिटी की स्थापना 1987 में हुई थी, और यह बिहार की एकमात्र दूरस्थ शिक्षा विश्वविद्यालय है। इसमें 105 से अधिक अध्ययन कार्यक्रम संचालित होते हैं, जिनमें स्नातक, स्नातकोत्तर, पीजी डिप्लोमा और प्रमाणपत्र पाठ्यक्रम शामिल हैं।

ब्यूरो रिपोर्ट अजीत यादव