दानापुर।
राजद नेता और बाहुबली विधायक रीतलाल यादव ने गुरुवार को दानापुर कोर्ट में आत्मसमर्पण कर दिया। उनके साथ तीन करीबी सहयोगियों – चीकू यादव, पिंकू यादव और श्रवण यादव – ने भी कोर्ट के समक्ष सरेंडर किया। कोर्ट में पेशी के बाद पुलिस ने उन्हें बेऊर जेल भेज दिया, जहां वह 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में रहेंगे। इससे पहले मोकामा गोलीकांड में आरोपी अनंत सिंह भी इसी जेल में बंद हैं, जिससे बेऊर जेल एक बार फिर चर्चाओं में आ गया है।

रीतलाल यादव पर 50 लाख रुपये की रंगदारी मांगने और जान से मारने की धमकी देने का गंभीर आरोप है। इस मामले में उनका नाम एफआईआर में सीधे तौर पर दर्ज है। सरेंडर के दौरान कोर्ट परिसर में उनके सैकड़ों समर्थकों की भीड़ उमड़ पड़ी, जिससे पूरे दानापुर क्षेत्र में अफरा-तफरी का माहौल बन गया। कोर्ट में पेशी के दौरान रीतलाल ने प्रशासन पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि उन्हें साजिश के तहत फंसाया जा रहा है और जान से मारने की कोशिश की जा रही है।

विधायक ने यह भी दावा किया कि विवाद की असली जड़ कुछ प्लॉट्स हैं, जिनमें से अधिकांश पहले ही बिल्डरों द्वारा खरीदे जा चुके हैं। उन्होंने कहा कि प्लॉट नंबर 38 और 39 पर गरीब तबके के लोग रहते हैं, जिन्हें जबरन हटाने की कोशिश हो रही है। उन्होंने आरोप लगाया कि इन लोगों को डराने-धमकाने के लिए बाउंसर और आपराधिक तत्वों का इस्तेमाल किया गया। विधायक ने प्रशासन पर पक्षपात का आरोप लगाते हुए कहा कि उनके पास पूरे घटनाक्रम के वीडियो सबूत मौजूद हैं।

सरेंडर के बाद मीडिया से बात करते हुए रीतलाल यादव ने पूरे मामले को राजनीतिक षड्यंत्र बताया। उन्होंने कहा कि आगामी चुनाव से पहले उन्हें बदनाम करने की कोशिश की जा रही है, ताकि जनता का विश्वास डगमगाया जा सके। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि प्रशासन बिल्डरों के साथ मिलकर उनके खिलाफ कार्रवाई कर रहा है और एक दिन उनके घर पर छापेमारी के दौरान उनकी हत्या की साजिश रची गई थी।

गौरतलब है कि रीतलाल यादव का नाम पहले भी कई आपराधिक मामलों में सामने आ चुका है। जेल में रहते हुए उन्होंने चुनाव लड़ा और जीत दर्ज की थी। अब एक बार फिर फर्जी दस्तावेज़, रंगदारी और धमकी जैसे मामलों में उनका जेल जाना तय माना जा रहा है। 11 अप्रैल को हुई छापेमारी में भारी मात्रा में नकद, जमीन से जुड़े दस्तावेज़, चेकबुक्स और एक वॉकी-टॉकी जैसी चीजें बरामद हुई थीं, जिससे मामला और पेचीदा हो गया है।

ब्यूरो रिपोर्ट अजीत यादव