बिक्रम।

वृंदावन कॉलोनी में आयोजित सात दिवसीय श्रीराम कथा के समापन दिवस पर अयोध्याधाम से पधारी कथावाचिका देवी अनुराधा सरस्वती ने रामराज्य की अवधारणा पर विचार साझा किए। उन्होंने कहा कि रामराज्य की स्थापना के लिए शासक नहीं, बल्कि सेवक बनकर प्रजा का पोषण करना आवश्यक है।

श्रीरामचरितमानस का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि गोस्वामी तुलसीदास ने हमें यह सिखाया है कि भगवान श्रीराम एक चक्रवर्ती सम्राट के पुत्र होते हुए भी छोटे से छोटे व्यक्ति से प्रेम करते थे। यह हमें यह सीख देता है कि ऊंचे पद और प्रतिष्ठा प्राप्त करने के बाद भी हमें सामान्य जनों से प्रेम व सम्मान का व्यवहार बनाए रखना चाहिए।

अनुराधा सरस्वती ने कहा कि एक श्रेष्ठ राजा पिता के समान होता है, जो प्रजा की प्रसन्नता के लिए अपने व्यक्तिगत सुखों का त्याग करने को तत्पर रहता है। भगवान राम ने अपने आदर्श चरित्र के माध्यम से यह संदेश दिया कि राजा को प्रजा का शोषण नहीं, बल्कि प्रेमपूर्वक पालन-पोषण करना चाहिए। उन्होंने कहा कि जब सत्ताधारी स्वयं को शासक नहीं, बल्कि सेवक के रूप में प्रस्तुत करेंगे, तभी रामराज्य का सपना साकार होगा।

इस अवसर पर समिति के संयोजक मदन दास, सचिव चंद्र भूषण मिश्र, आचार्य सत्यम तिवारी, समाजसेवी मनीता देवी, अनिल सिंह, शशांक शेखर, शिवचंद्र सिंह, सुशील सिंह, भास्कर मगहिया, गुड्डू गुप्ता, पप्पू गुप्ता, मनीष, ओनु, ललन और अजय गुप्ता सहित सैकड़ों श्रद्धालु उपस्थित थे।

कार्यक्रम के उपरांत अनुराधा सरस्वती ने खोरैठा नगर स्थित प्रसिद्ध बाबा खोरैठेरनाथ मंदिर में पूजा-अर्चना की। मंदिर न्यास समिति द्वारा उन्हें सम्मानित भी किया गया।

ब्यूरो रिपोर्ट शशांक मिश्रा