
पटना।
हिंदी छायावाद की प्रमुख स्तंभ और “नीर भरी दुःख की बदली” की अमर रचनाकार महादेवी वर्मा की जयंती पर बिहार हिंदी साहित्य सम्मेलन में भव्य कवि-सम्मेलन आयोजित किया गया। सम्मेलन की अध्यक्षता करते हुए डा. अनिल सुलभ ने कहा कि महादेवी वर्मा सिर्फ करुणा की प्रतीक नहीं, बल्कि स्नेह और संवेदना की छाया थीं। उनके गीतों ने समाज को उल्लास, उत्साह और संवेदना के नए रंग दिए।
साहित्य मंत्री भगवती प्रसाद द्विवेदी ने महादेवी वर्मा के संघर्षपूर्ण जीवन और हिंदी काव्य में उनके योगदान को रेखांकित किया। डॉ. उपेंद्रनाथ पांडेय ने उन्हें रवींद्रनाथ ठाकुर के समकक्ष रखते हुए उनके साहित्यिक दृष्टिकोण की सराहना की।
इस अवसर पर आयोजित कवि-सम्मेलन का शुभारंभ चंदा मिश्र की वाणी-वंदना से हुआ। सम्मेलन के उपाध्यक्ष डॉ. शंकर प्रसाद, डॉ. मधु वर्मा, बच्चा ठाकुर, आर. पी. घायल, डॉ. रत्नेश्वर सिंह, डॉ. पूनम आनंद, डॉ. पुष्पा जमुआर, डॉ. अर्चना त्रिपाठी, श्याम बिहारी प्रभाकर, डॉ. मीना कुमारी परिहार, कुमार अनुपम, डॉ. ओम प्रकाश पांडेय, पं. गणेश झा, सुनील कुमार, मीरा श्रीवास्तव सहित कई कवियों ने अपनी रचनाओं से समा बांध दिया।
मंच संचालन ब्रह्मानंद पांडेय और धन्यवाद ज्ञापन कृष्ण रंजन सिंह ने किया। इस मौके पर विभा रानी श्रीवास्तव, डा. रमा कुमारी, डा. प्रेम प्रकाश, डा. चंद्रशेखर आजाद, अमीरनाथ शर्मा, संजय लाल चौधरी, अश्विनी कुमार, मनोज कुमार सहित बड़ी संख्या में साहित्यप्रेमी उपस्थित रहे।
ब्यूरो रिपोर्ट अजीत यादव