फुलवारी शरीफ/पटना।

होली के रंग फीके पड़ गए, जब अररिया के फुलकाहा थाना में तैनात एएसआई राजीव रंजन की शहादत की खबर पटना के मौर्य बिहार कॉलोनी में पहुंची। पूरा मोहल्ला गमगीन है, लेकिन इस दुख में भी गर्व छिपा है—राजीव ने अपने कर्तव्य की वेदी पर प्राण न्यौछावर कर दिए।

परिवार पर टूटा दुखों का पहाड़शहादत की खबर मिलते ही पत्नी रूबी कुमारी और बेटियों रिशू व रिया की चीखें पूरे मोहल्ले में गूंज उठीं। पड़ोसियों ने तुरंत परिवार की मदद की और उन्हें अररिया के लिए रवाना कर दिया। राजीव तीन बहनों के इकलौते भाई थे। एक बहन पटना में, दूसरी रांची में और तीसरी भी उनके घर पहुंच चुकी है। भाई के बलिदान की खबर सुनकर बहनों का रो-रोकर बुरा हाल है।

शहादत की खबर मिलते ही पत्नी रूबी कुमारी और बेटियों रिशू व रिया की चीखें पूरे मोहल्ले में गूंज उठीं। पड़ोसियों ने तुरंत परिवार की मदद की और उन्हें अररिया के लिए रवाना कर दिया। राजीव तीन बहनों के इकलौते भाई थे। एक बहन पटना में, दूसरी रांची में और तीसरी भी उनके घर पहुंच चुकी है। भाई के बलिदान की खबर सुनकर बहनों का रो-रोकर बुरा हाल है।

पिता अब भी बेटे के लौटने की राह देख रहे

घर की बालकनी में बैठे वृद्ध पिता अनिल कुमार मल, जो सेवानिवृत्त शिक्षक हैं, बेटे के लौटने की राह तक रहे हैं। अब तक उन्हें यह नहीं बताया गया है कि राजीव अब कभी लौटकर उनसे बात नहीं करेंगे। मोहल्लेवालों ने उन्हें यह कहकर दिलासा दिया कि राजीव घायल हैं और इलाज के लिए आ रहे हैं।

परिवार के सपनों का घर मातम में बदला

2011 में राजीव ने यह घर अपनी बेटियों की बेहतर शिक्षा के लिए बनाया था। उनकी बड़ी बेटी रिशू ने हाल ही में 12वीं की परीक्षा दी थी, जबकि छोटी रिया 9वीं में पढ़ती है।

गर्व और गम का मिला-जुला माहौल

शहीद एएसआई राजीव रंजन अमर रहें!

पूरा गांव, परिवार और मोहल्ला गर्व और गम के मिले-जुले भाव में डूबा है। होली का त्योहार मातम में बदल चुका है। जब शहीद का शव घर आएगा, तब शायद पिता की उम्मीद भी टूट जाएगी, लेकिन मोहल्ले को गर्व रहेगा कि उनके बीच रहने वाला एक सपूत देश के लिए बलिदान हो गया। अंतिम संस्कार यहीं से होगा।

ब्यूरो रिपोर्ट अजीत यादव