पटना।

बिहार में अपराध की जांच को तेज और प्रभावी बनाने के लिए पुलिस प्रशासन ने नई व्यवस्था लागू की है। अब किसी पुलिस अधिकारी के तबादले के बाद उसे अपने जिम्मे के मामलों का चार्ज थानेदार को सौंपना होगा और इसके लिए अनापत्ति प्रमाण पत्र (NOC) प्राप्त करना अनिवार्य होगा।

आमतौर पर देखा जाता है कि तबादले के बाद अधिकारी कांड का अनुसंधान सौंपे बिना नई जगह पर चले जाते हैं, जिससे जांच प्रक्रिया बाधित होती है और मामलों की प्रगति रुक जाती है। लेकिन अब इस तरह की लापरवाही पर अंकुश लगाने के लिए यह सख्त नियम लागू किया गया है।

IANS से प्रेसवार्ता के दौरान डीजीपी ने यह स्पष्ट किया है कि यदि किसी अधिकारी का तबादला जिले के बाहर या अन्य इकाई में होता है, तो उसे जांच का प्रभार सौंपने के बाद ही एनओसी के आधार पर वेतन मिलेगा। ऐसा न करने पर वेतन रोक दिया जाएगा।

यह नई पहल लंबित मामलों की बढ़ती संख्या और अनुसंधान की धीमी गति को देखते हुए की गई है। इससे पीड़ित पक्ष और आम जनता के बीच पुलिस के प्रति भरोसा बढ़ाने का प्रयास किया गया है। अब अनुसंधानकर्ता पुलिस अधिकारी, चाहे वह दारोगा हो या जमादार, स्थानांतरण के तुरंत बाद मामले का प्रभार सौंपकर नई जगह योगदान करेंगे। जिले के अंदर और बाहर दोनों तरह के तबादलों पर यह नियम लागू होगा।

इस व्यवस्था का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि अपराध की जांच में अनावश्यक देरी न हो और समय पर चार्जशीट दाखिल की जा सके। इससे पुलिस प्रशासन में अनुशासन और जवाबदेही भी बढ़ेगी।

ब्यूरो रिपोर्ट राजीव रंजन