पटना।

राहुल गांधी द्वारा बिहार में कराई गई जातीय गणना को “फर्जी” करार दिए जाने के बाद राजनीतिक बयानबाजी तेज हो गई है। कांग्रेस नेता ने संविधान बचाओ सम्मेलन में अपनी पार्टी के कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए यह वादा किया कि कांग्रेस हर हाल में देशव्यापी जाति जनगणना सुनिश्चित करेगी, चाहे इसके लिए राजनीतिक नुकसान ही क्यों न उठाना पड़े।

जेडीयू और बीजेपी का पलटवार

इस बयान पर जेडीयू और बीजेपी के नेताओं ने राहुल गांधी पर तीखा हमला किया।

जेडीयू नेता ललन सिंह ने राहुल गांधी को “फर्जीवाड़े का सरदार” बताते हुए कहा कि उन्हें हर चीज़ नकली लगती है, जबकि वे खुद नकलीपन के प्रतीक हैं। ललन सिंह ने यह भी सवाल उठाया कि जब बिहार सरकार जातीय जनगणना की मांग कर रही थी, तब राहुल गांधी चुप क्यों थे।

बीजेपी नेता शाहनवाज हुसैन ने राहुल गांधी को कांग्रेस शासन के दौरान हुए भागलपुर दंगों और आपातकाल की याद दिलाई। उन्होंने कहा कि राहुल गांधी को जयप्रकाश नारायण की प्रतिमा के सामने माफी मांगनी चाहिए थी।


जेडीयू का बचाव

जेडीयू के दूसरे नेताओं ने बिहार में कराई गई जातीय गणना का बचाव किया।

राजीव रंजन प्रसाद ने कहा कि नीतीश कुमार की सरकार ने 20 साल में जो काम किए हैं, उनमें जातीय गणना अहम है। इसके आधार पर आर्थिक रूप से पिछड़े परिवारों को 2 लाख रुपये तक की आर्थिक सहायता दी जा रही है। उन्होंने राहुल गांधी से कांग्रेस के 55 साल के शासन में जाति जनगणना और आरक्षण के मुद्दे पर किए गए कामों का हिसाब मांगा।


राहुल गांधी का कहना है कि बिहार की जातीय गणना वास्तविक नहीं है और इसे जनता को मूर्ख बनाने के लिए इस्तेमाल किया गया। इस पर ललन सिंह ने आरोप लगाया कि राहुल गांधी को संविधान की समझ नहीं है और वे सिर्फ “ड्रामा” करते हैं। साथ ही, उन्होंने कांग्रेस पर आपातकाल के दौरान संविधान की धज्जियां उड़ाने का आरोप लगाया।


जातीय गणना देश में सामाजिक और आर्थिक असमानता के मुद्दों पर आधारित एक बड़ा राजनीतिक मुद्दा बन चुका है। विपक्षी पार्टियां इसे सामाजिक न्याय का आधार मान रही हैं, जबकि सत्ताधारी दल इस पर अलग-अलग राय रख रहे हैं। राहुल गांधी के बयान ने इस बहस को और गर्म कर दिया है।

ब्यूरो रिपोर्ट