पटना।

मंगलवार (14 जनवरी, 2025) की देर शाम पूर्व केंद्रीय मंत्री पशुपति कुमार पारस ने राबड़ी आवास पहुंचकर आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव से मुलाकात की। इस मुलाकात ने बिहार की राजनीति में नई अटकलों को जन्म दिया है। हालांकि, इसे लेकर तेजस्वी यादव ने स्पष्ट किया कि यह एक पारिवारिक मुलाकात थी और इसका कोई राजनीतिक मतलब नहीं निकाला जाना चाहिए।

मकर संक्रांति भोज के लिए न्योता
तेजस्वी यादव ने पत्रकारों से बातचीत में कहा कि पशुपति पारस मकर संक्रांति के अवसर पर अपने दही-चूड़ा भोज का निमंत्रण देने आए थे। उन्होंने कहा, “हमारा उनके परिवार से पुराना रिश्ता है। रामविलास पासवान जी से भी हमारे संबंध रहे हैं। लालू जी और पारस जी ने साथ में काम किया है। न्योता मिला है, और हो सकता है कि लालू जी इसमें शामिल हों।”

नीतीश कुमार को भी आमंत्रण
पशुपति पारस ने 15 जनवरी को अपने भोज में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को भी आमंत्रित किया है। यह भोज ऐसे समय में हो रहा है जब पारस के राजनीतिक भविष्य को लेकर कई सवाल उठ रहे हैं।

सियासी समीकरणों की अटकलें
माना जा रहा है कि पशुपति पारस अपने सियासी भविष्य को लेकर महागठबंधन और एनडीए के बीच संभावनाएं तलाश रहे हैं। सवाल यह है कि क्या पारस किसी गठबंधन के करीब जा रहे हैं, या फिर वे कोई नया कदम उठाने की तैयारी में हैं।

तेजस्वी यादव ने टाल दिया चिराग-नीतीश का सवाल
जब तेजस्वी यादव से चिराग पासवान के भोज में नीतीश कुमार और चिराग के बीच मुलाकात न होने पर सवाल पूछा गया तो उन्होंने कहा, “इस पर मैं कोई टिप्पणी नहीं करूंगा। चिराग पासवान से ही पूछ लीजिए।”

क्या संकेत दे रहे हैं पशुपति पारस?
दही-चूड़ा भोज के बहाने पशुपति पारस अपने राजनीतिक विकल्पों को परख रहे हैं। आने वाले दिनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि वे किस ओर रुख करते हैं और बिहार की राजनीति में क्या बदलाव देखने को मिलते हैं।

ब्यूरो रिपोर्ट