
आरा (भोजपुर)।
भिखारी ठाकुर सामाजिक शोध संस्थान के बैनर तले तीन दिवसीय भिखारी ठाकुर लोकोत्सव की शुरुआत पारंपरिक ढंग से हुई। तीन दिवसीय कार्यक्रम के पहले दिन जनप्रतिनिधियों, साहित्यकारों, पत्रकारों और संस्कृतिकर्मियों द्वारा भिखारी ठाकुर, बाबू ललन सिंह तथा उस्ताद बिस्मिल्लाह खान की प्रतिमा पर माल्यार्पण तथा दीप प्रज्वलित कर हुई। उदघाटन सत्र को प्रो. डॉ धर्मेंद्र तिवारी, पूर्व कुलपति, इंदु देवी, महापौर, आरा नगर निगम, डॉ जया जैन, प्रो किरण कुमारी, मधु मिश्रा,धीरेन्द्र सिंह सीनियर सिटीजन वेलफेयर एसोसिएशन, साहित्यकार जनार्दन मिश्रा, प्रो रेणु मिश्र, बी डी सिंह, जी एम होटल मौर्य, प्रो दिनेश प्रसाद सिन्हा एवं अन्य साहित्यकारों ने संबोधित किया। कमलेश व्यास द्वारा भिखारी रचित गंगा स्नान और अन्य गीतों की मधुर प्रस्तुति हुई। इसके बाद भोजपुरी की संवैधानिक मान्यता तथा अस्मिता की पहचान के सवाल विषय पर परिचर्चा आयोजित हुई। परिचर्चा में अन्य लोगों के अलावा डॉ रंजन विकास, रंजन प्रकाश, गोरखपुर के नन्दमणि लाल त्रिपाठी, मीडिया विशेषज्ञ डॉ अजय ओझा, देवरिया के जनार्दन सिंह, वीर कुंवर सिंह विवि भोजपुरी विभागाध्यक्ष प्रो दिवाकर पांडेय, डॉ कुमार शीलभद्र, डॉ बीरेंद्र कुमार शर्मा, आचार्य धर्मेंद्र तिवारी ने भाग लिया तथा भोजपुरी की संवैधानिक मान्यता के लिए भोजपुरी जनता को जागरूक होने तथा जनप्रतिनिधियों का ध्यान इस ओर आकर्षित करने का आह्वान किया।

वक्ताओं ने इस बात पर सहमति जताई कि अब निर्णायक संघर्ष का समय है, सभी आंदोलनरत संगठनों को एक बैनर के नीचे आने की जरूरत है जिसका आगाज़ भिखारी ठाकुर लोकोत्सव के इसी मंच से होगा। संस्थान के अध्यक्ष तथा वरिष्ठ पत्रकार नरेंद्र सिंह ने एक कमिटी गठित करने का प्रस्ताव दिया जिसमें सभी संगठनों के लोग सहभागी होंगे। इसके बाद जोगीबीर के दरोगा गोंड, टुनटुन गोंड और उनकी टीम द्वारा गोंड नाच की भव्य प्रस्तुति हुई जिसे दर्शक एकटक देखकर भावविभोर हो गए। अंत में संस्थान की स्मारिका के आवरण पेज की मुंहदिखाई हुई। भिखारी ठाकुर और भोजपुरी लोकसंस्कृति पर केंद्रित स्मारिका का प्रकाशन फरवरी तक किया जाएगा। आज के कार्यक्रम का संचालन नरेंद्र सिंह, रवि प्रकाश सूरज, बंटी भारद्वाज ने किया। कार्यक्रम में चंद्रभूषण पांडेय, कवि राज कवि, रंजन यादव, सोहित सिन्हा, रंगकर्मी राजू रंजन, आदित्य, रवि कुमार, शंकर जी आदि सदस्यों की भूमिका महत्वपूर्ण रही।
ब्यूरो रिपोर्ट: अनिल कुमार त्रिपाठी