बिक्रम।

श्रीरामकथा सुनने से नहीं बल्कि जीवन में उतारने से सार्थक होगा। कोई भी कन्या देवी समान होती है और शास्त्रों के मुताबिक पूजनीय भी है। दुर्भाग्य से आज के समय में जब किसी घर में पुत्री का जन्म होता है तो मातम छा जाता है। मातम इसलिए नहीं छाता कि पुत्री का जन्म हुआ है बल्कि दहेज रुपी दानव के डर से माता-पिता पुत्री के जन्म पर सहम से जाते हैं। उसे दहेज रुपी दानव को मिटाने की जरूरत है और वह कार्य समाज ही कर सकता है।

पुत्र और पुत्री में कभी भेद नहीं करें बल्कि पुत्री को पुत्रों के समान ऊंची शिक्षा दें, लालन-पालन करें और जब शादी का वक्त आए तो दहेज का विरोध करें। उक्त बातें बिक्रम नगर स्थित कीड़ा मैदान में आयोजित नौदिवसीय संगीतमय श्रीरामकथा के दौरान कथा वाचिका देवी शशीप्रभा ने  शिव-पार्वती विवाह प्रसंग के प्रवचन में कही । आयोजक विनय जी महाराज ने बताया कि प्रवचन का समापन 15 दिसंबर को होगा। प्रतिदिन 1 बजे से संध्या 4 बजे तक प्रवचन का कार्यक्रम जारी रहेगा। देवकांत शर्मा राजेंद्र सिंह, मदन दास, गुड्डू गुप्ता, पप्पू गुप्ता, रंजय कुमार सहित अन्य श्रद्धालु उक्त प्रवचन में शामिल हुए।

ब्यूरो रिपोर्ट शशांक मिश्रा