
पटना।
अनिसाबाद पुलिस कालोनी स्थित मंदिर में श्री साई बाबा सेवा समिति की ओर से प्रारंभ श्री लक्षाहुति अंबा महायज्ञ एवं श्रीमद् देवी भागवत कथामृत में संत शिरोमणि करपात्री अग्निहोत्री परमहंस स्वामी चिदात्मन महाराज ने कहा कि दीप प्रज्ज्वलित करने का अर्थ अपने अंतर्मन को जागृत करना है। कथा के क्रम में उन्होंने कहा कि यह संसार चलाचल है, केवल सनातन धर्म ही शाश्वत है।
उन्होंने कहा कि ऋग्वेद का प्रथम अन्वेषण अग्नि ही है। यज्ञ के पांच अंग हैं। जिसमें तीन क्रिया जपात्मक, पाठात्मक एवं हवनात्मक यज्ञ-मण्डप पर एवं दो क्रिया ज्ञानमंच व भण्डारा के रूप में सम्पादित होता है। उन्होंने दशरथ की व्याख्या करते हुए कहा कि जिसने पांच कर्मेन्द्रिय एवं पांच ज्ञानेन्द्रियों को वश में किया है, वही दशरथ हैं। यज्ञ भी तीन प्रकार का है सात्विक, राजसी एवं तामसी। आपका यह यज्ञ पूर्णत: सात्विक है- जिसमें परिक्रमा में पग-पग पर अश्वमेध यज्ञ करने प्राप्त होता है। यज्ञ करने से इहलौकिक सुख एवं पारलौकिक गति की प्राप्ति होती है। इस नौदिवसीय कथायज्ञ में बताया कि तीन देवियों क्रमशः महाकाली, महालक्ष्मी एवं महासरस्वती का वर्णन आता है इसी में आज महालक्ष्मी की संक्षिप्त झाँकी प्रस्तुत की गयी।
उन्होंने बताया कि हमारी संस्कृति की रक्षा करनेवाली हमारी माताएं एवं बहने हैं। समाज को व्यवस्थित एवं अतीत के गौरव को प्राप्त करने के लिए मर्यादा पुरुषोतम श्रीराम के चरित्र को अपनाना अनिवार्य है। इसी क्रम में रामचरितमानस में वर्णित “विजयरथ” का विशद वर्णन किया।
सोनपुर मेला का वास्तविक अर्थ बतलाते हुए कहा कि जिस समय बिहार, बंगाल, उड़ीसा नहीं था केवल भारत के नाम से जाना जाता था उस समय यह दिव्य स्थली अज्ञानतारुपी पशुत्व को समाप्त करने का स्थल था जो आज पशुमेला के रूप में देखा जा रहा है। उक्त महायज्ञ में कथा व्यास के रूप में- पं श्री लक्ष्मण भारद्वाज एवं यज्ञ के आचार्य पं० श्री रंजन शास्त्री, आचार्य पं श्री दिनेश झा, पं श्री सदानन्द झा, पं श्रीराम झा, सुजीत पाठक एवं पं श्री रविनन्दन झा भी मौजूद थे।
ब्यूरो रिपोर्ट अजीत यादव