पटना। कहते हैं, ईमानदारी अब दुर्लभ हो चली है, लेकिन पटना के एक साधारण ऑटो चालक ने साबित कर दिया कि सच्चाई और नेकदिली आज भी जिंदा है। खगौल से सगुना मोड़ की ओर जा रहे एक यात्री का 10 लाख रुपये नकद और कीमती सामान से भरा बैग ऑटो में भूलवश छूट गया था। ऑटो चालक पंकज गिरी, जो मूल रूप से नालंदा जिले के खरीजमा गांव के रहने वाले हैं, ने जब अपने वाहन में वह बैग देखा, तो उन्होंने बिना किसी लालच या हिचक के तुरंत शाहपुर थाना पहुंचकर बैग पुलिस के हवाले कर दिया। उनकी इस ईमानदारी ने न केवल उस यात्री की बड़ी परेशानी हल कर दी, बल्कि पूरे शहर में मानवता और भरोसे की एक मिसाल कायम कर दी।

थाना पुलिस ने जब बैग की जांच की तो उसमें ₹10 लाख नकद और कई कीमती दस्तावेज बरामद हुए। सत्यापन के बाद जब बैग को उसके असली मालिक को सौंपा गया, तो उसकी आंखों में कृतज्ञता और राहत के भाव थे। इस असाधारण ईमानदारी के लिए नगर पुलिस अधीक्षक (पश्चिमी) पटना, भानु प्रताप सिंह ने पंकज गिरी को प्रशस्ति-पत्र और नकद पुरस्कार देकर सम्मानित किया। श्री सिंह ने कहा कि “पंकज गिरी ने जिस ईमानदारी और सजगता का परिचय दिया है, वह समाज के लिए प्रेरणादायक है। अगर मालिक को बैग और पैसा नहीं मिलता, तो पुलिस को चोरी की एफआईआर दर्ज कर जांच-पड़ताल में काफी समय और श्रम लगाना पड़ता। इस तरह की ईमानदारी न केवल समाज को प्रेरित करती है, बल्कि पुलिस के कार्यभार को भी कम करती है।”

यह घटना सिर्फ एक खोया बैग लौटाने की नहीं, बल्कि एक सोच का प्रतीक है — कि ईमानदारी किसी पद या पैसे की मोहताज नहीं होती। अगर हर नागरिक अपनी जिम्मेदारी और नैतिकता को समझे, तो न केवल अपराध कम होंगे बल्कि समाज में विश्वास और सुरक्षा की भावना भी बढ़ेगी। पंकज गिरी जैसे लोग हमें यह याद दिलाते हैं कि असली पहचान हमारे कर्मों से बनती है, और ईमानदारी आज भी सबसे बड़ी पूंजी है।

ब्यूरो रिपोर्ट