
एम्स पटना के 14वें स्थापना दिवस समारोह में गूंजा सेवा, करुणा और सामाजिक उत्तरदायित्व का संदेश
पटना।
एम्स पटना ने गुरुवार को अपना 14वां स्थापना दिवस गरिमापूर्ण वातावरण में मनाया, जिसमें मुख्य अतिथि के रूप में बिहार के राज्यपाल डॉ. अरिफ मोहम्मद खान ने शिरकत की। अपने प्रेरक वक्तव्य में उन्होंने चिकित्सा सेवा को मानवता की सर्वोच्च साधना बताते हुए कहा,
“शरीर ही धर्म का माध्यम है और रोगी की सेवा सबसे बड़ी पूजा।”
राज्यपाल ने कहा कि एम्स पटना ने बीते 14 वर्षों में न केवल बिहार बल्कि पूरे देश में चिकित्सा, शिक्षा और अनुसंधान के क्षेत्र में विशिष्ट पहचान बनाई है। खासतौर पर आर्थिक रूप से कमजोर तबकों के लिए यह संस्थान उम्मीद और भरोसे का सबसे बड़ा केंद्र बनकर उभरा है।
“सेवा ही सच्चा धर्म” — जनकल्याण की भूमिका में एम्स
डॉ. खान ने अपने संबोधन में कहा कि बिहार की एक बड़ी आबादी अब भी वित्तीय कठिनाइयों और स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी से जूझ रही है। ऐसे में एम्स पटना उन्हें सस्ती, सुलभ और गुणवत्तापूर्ण चिकित्सा सेवा प्रदान कर सामाजिक उत्तरदायित्व का उत्कृष्ट उदाहरण पेश कर रहा है।
उन्होंने बताया कि संस्थान न केवल अस्पताल परिसर में इलाज तक सीमित है, बल्कि शिविरों, मोबाइल हेल्थ यूनिट्स और जागरूकता अभियानों के ज़रिए दूरदराज़ के गांवों तक स्वास्थ्य सेवाएँ पहुँचा रहा है। यह पहल संस्थान को एक स्वास्थ्य सेवा केंद्र से आगे बढ़ाकर जनकल्याण का स्तंभ बना रही है।
कोविड काल में निभाई अग्रणी भूमिका
राज्यपाल ने एम्स पटना की कोविड महामारी के दौरान निभाई गई भूमिका की विशेष सराहना की। उन्होंने कहा कि महामारी के उस कठिन समय में एम्स पटना राज्य का प्रमुख उपचार केंद्र बना, जहाँ आईसीयू, वेंटिलेटर, टीकाकरण और टेलीमेडिसिन जैसी सुविधाओं के माध्यम से हजारों मरीजों को जीवनदायी सेवाएँ दी गईं।
शोध और नवाचार में उल्लेखनीय योगदान
राज्यपाल ने एम्स की उपलब्धियों की चर्चा करते हुए कहा कि संस्थान ने मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य, कुपोषण, कैंसर, हृदय रोग, न्यूरोलॉजी और टीकाकरण जैसे क्षेत्रों में महत्वपूर्ण शोध और नवाचार किए हैं। उन्होंने विश्वास जताया कि आने वाले वर्षों में यह संस्थान चिकित्सा उत्कृष्टता के नए मानक स्थापित करेगा।
धर्म का असली स्वरूप: सेवा और करुणा
राज्यपाल ने अपने संबोधन में महाकवि कालिदास के श्लोक “शरीरं माध्यमं खलु धर्मसाधनम्” का उल्लेख करते हुए कहा कि स्वस्थ शरीर ही मानव धर्म का मूल आधार है।
उन्होंने कहा,
> “धर्म का अर्थ केवल पूजा-पाठ नहीं, बल्कि पीड़ित मानवता की सेवा करना है। चिकित्सक जब करुणा और संवेदना से उपचार करता है, तो वह केवल इलाज नहीं करता, बल्कि सच्चा धर्म निभाता है।”
उन्होंने भगवान महावीर के सिद्धांतों का भी हवाला देते हुए कहा कि रोगी सेवा को सर्वोच्च पुण्य बताया गया है। चिकित्सक जब निष्काम भाव से सेवा करता है, तो वह समाज में विश्वास और सम्मान की पूंजी अर्जित करता है।
समापन: सेवा का संकल्प
राज्यपाल डॉ. अरिफ मोहम्मद खान ने एम्स पटना की पूरी टीम को इस 14 वर्षीय यात्रा के लिए बधाई दी और आशा व्यक्त की कि आने वाले वर्षों में यह संस्थान स्वास्थ्य, शिक्षा और अनुसंधान के क्षेत्र में नई ऊंचाइयों को छूएगा।
यह समारोह केवल उत्सव नहीं, बल्कि चिकित्सा के माध्यम से मानवता की सेवा का संकल्प था — एक यात्रा जो आगे भी अनगिनत ज़िंदगियों में रोशनी लाने का वादा करती है।
ब्यूरो रिपोर्ट अजीत यादव