पटना।

राजधानी की बिजली व्यवस्था को नई तकनीक और मजबूती देने के लिए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सोमवार को 328.52 करोड़ रुपए की लागत वाली विद्युत आधुनिकीकरण एवं सुदृढ़ीकरण परियोजना का शुभारंभ किया। इस मौके पर उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी विशिष्ट अतिथि के रूप में मौजूद रहे जबकि कार्यक्रम की अध्यक्षता ऊर्जा मंत्री बिजेंद्र प्रसाद यादव ने की। ऊर्जा सचिव एवं सीएमडी बीएसपीएचसीएल मनोज कुमार सिंह, मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव दीपक कुमार, सचिव कुमार रवि, प्रमंडलीय आयुक्त डॉ. चंद्रशेखर सिंह और पटना जिलाधिकारी डॉ. त्यागराजन एसएम भी मंच पर उपस्थित थे। मुख्यमंत्री ने कार्यक्रम के दौरान 125 यूनिट निःशुल्क बिजली योजना के लाभार्थियों को बिल सौंपकर योजना का लाभ पहुंचाया।

परियोजना के तहत अगले 24 महीनों में पटना शहर की बिजली ढांचे में बड़े बदलाव देखने को मिलेंगे। इसमें 4 नए शक्ति उपकेंद्रों का निर्माण, 94 किमी 33 केवी और 115 किमी 11 केवी लाइन को भूमिगत केबलिंग में बदलना, 201 किमी लाइन को 11 केवी कवरड कंडक्टर से रिप्लेस करना, 22 आरएमयू (33 केवी) और 221 आरएमयू (11 केवी) की स्थापना तथा 990 केवीए क्षमता वाले 61 कॉम्पैक्ट ट्रांसफॉर्मर लगाना शामिल है। इसके साथ ही 124 किमी एलटी लाइन को एबी केबल और 102 किमी एलटी लाइन को अंडरग्राउंड केबल एवं पिलर सिस्टम से बदला जाएगा। अधिकारियों के मुताबिक इस कदम से आंधी-पानी में बार-बार बिजली बाधित होने की समस्या में भारी कमी आएगी, मरम्मत कार्य तेज होगा और उपभोक्ताओं को निर्बाध व गुणवत्तापूर्ण आपूर्ति सुनिश्चित होगी।

इस मौके पर ऊर्जा मंत्री बिजेंद्र प्रसाद यादव ने इसे “प्रगति यात्रा की घोषणाओं को धरातल पर उतारने वाला ऐतिहासिक कदम” बताया। ऊर्जा सचिव मनोज कुमार सिंह ने कहा कि अंडरग्राउंड सिस्टम से ट्रिपिंग और खराबी की संभावना काफी कम होगी और वोल्टेज फ्लक्चुएशन पर भी रोक लगेगी। वहीं अगले चरण में 568.22 करोड़ की लागत से पटना में 890 किमी से अधिक अंडरग्राउंड केबलिंग, करीब 881 किमी रिकॉनडक्टरिंग और पेसू क्षेत्र में स्काडा प्रणाली लागू की जाएगी। विशेषज्ञों का मानना है कि इन परियोजनाओं से पटना की बिजली व्यवस्था भविष्य की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए कहीं अधिक सुरक्षित और आधुनिक रूप में बदल जाएगी।

ब्यूरो रिपोर्ट