पटना।

आपदा के समय जब हर पल कीमती होता है, तब एक ऐसे नवाचार की जरूरत होती है जो जिंदगी और मौत के बीच की रेखा मिटा सके। एम्स पटना ने मंगलवार को एक ऐसे ही अत्याधुनिक उपकरण BHISMCUBE (बेसिक हेल्थ एंड इमीडिएट सपोर्ट मॉड्यूलर क्यूब्स) का जीवंत प्रदर्शन कर यह दिखा दिया कि अब आपदा के वक्त इलाज में देरी अतीत की बात होगी। अस्पताल परिसर के IPD फोयर में हुए इस प्रदर्शन को देखने 500 से अधिक चिकित्सीय और प्रशासनिक विशेषज्ञ जुटे — जिनमें डॉक्टर, नर्स, फार्मासिस्ट, सुरक्षाकर्मी, अग्निशमन अधिकारी और अन्य आपदा प्रतिवादी शामिल थे।

कार्यक्रम की शुरुआत दीप प्रज्वलन और सरस्वती वंदना के साथ हुई, जिसने पूरे माहौल को एक पावन और प्रेरणादायक शुरुआत दी। इसके बाद स्वागत भाषणों की श्रृंखला चली, जहां वरिष्ठ अधिकारियों ने इस पहल को समय की मांग बताया। लाइव डेमो में भाग लेने वालों ने BHISMCUBE की संरचना, उपयोग और तैनाती प्रक्रिया को बेहद करीब से जाना और समझा कि कैसे यह नवाचार आपदा प्रबंधन का चेहरा बदल सकता है।

इस कार्यक्रम में विशेष उपस्थिति दर्ज कराई BHISMCUBE के निर्माता और भारतीय सेना के पूर्व मुख्य सर्जन डॉ. तनमय रे ने। उन्होंने बताया कि यह क्यूब्स महज 12 से 45 मिनट में आपदा स्थल पर एक मिनी अस्पताल स्थापित कर देता है। प्रत्येक क्यूब में 72 बॉक्स होते हैं, जिन्हें RFID टैग से लैस किया गया है। इससे जरूरी मेडिकल संसाधनों की पहचान और उपलब्धता बेहद तेज़ हो जाती है — खासकर “गोल्डन आवर” के भीतर इलाज के लिए, जब किसी की जान बचाई जा सकती है।

डॉ. रे के साथ उनकी तकनीकी टीम से श्री विशाल भी मौजूद थे। दोनों ने विस्तार से बताया कि यह सिस्टम विशेष रूप से सामूहिक दुर्घटनाओं, प्राकृतिक आपदाओं या आतंकी घटनाओं जैसी परिस्थितियों में चिकित्सीय त्वरित प्रतिक्रिया को सुनिश्चित करता है। डॉ. रे ने कहा, “BHISMCUBE सिर्फ एक किट नहीं, बल्कि आपातकालीन चिकित्सा प्रतिक्रिया में एक ‘गेम चेंजर’ है — जो अराजकता में भी सटीकता, संरचना और जीवन रक्षा का काम करता है।”

एम्स पटना के कार्यकारी निदेशक प्रो. (डॉ.) सौरभ वार्ष्णेय ने अपने शुभकामना संदेश में BHISMCUBE को सामुदायिक और संस्थागत आपदा प्रबंधन की दिशा में बेहद अहम बताया। वहीं, चिकित्सा अधीक्षक डॉ. अनुप कुमार, डीन डॉ. रूचि सिन्हा, उप निदेशक (प्रशासन) नीलोत्पल बल, ट्रॉमा विभाग प्रमुख और BHISMCUBE के नोडल अधिकारी डॉ. अनिल कुमार, डीआईजी सुधांशु कुमार पोरीका और ट्रैफिक एआईजी अनंत कुमार रॉय समेत कई वरिष्ठ अधिकारी भी कार्यक्रम में शामिल रहे।

कार्यक्रम के दौरान BHISMCUBE प्रणाली को आगे बढ़ाने के लिए 14 विशेषज्ञों को “मास्टर ट्रेनर” घोषित किया गया। इनमें डॉ. अनुप कुमार, डॉ. अनुराग कुमार, डॉ. माजिद अनवर, सजिन, लॉरेंस, साक्षी तिवारी, मोना, दीपिका राठौर, अमित मित्तल, इरशाद, संगीता और विनोद जैसे नाम शामिल हैं। अब ये प्रशिक्षक राज्यभर में डॉक्टरों, पुलिसकर्मियों, अग्निशमन बल, पैरामेडिक्स और अन्य को प्रशिक्षण देंगे, जिससे ज़मीनी स्तर पर मजबूत और प्रशिक्षित आपातकालीन तंत्र तैयार किया जा सके।

नोडल अधिकारी डॉ. अनिल कुमार ने कहा कि इस अभिनव चिकित्सा प्रणाली का मुख्य उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि कोई भी घायल व्यक्ति प्राथमिक इलाज से वंचित न रह जाए। उन्होंने बताया, “हमारी योजना है कि मास्टर ट्रेनर पूरे राज्य में BHISMCUBE की कार्यशाला आयोजित कर, स्थानीय स्वास्थ्यकर्मियों को प्रशिक्षित करें, जिससे किसी भी आपदा में तत्परता और प्रभावशीलता बनी रहे।”

समापन समारोह में डॉ. अनिल कुमार ने जोर देकर कहा, “BHISMCUBE हमारी प्रतिबद्धता है — कि स्वास्थ्य प्रणाली अब सिर्फ इलाज तक सीमित नहीं रहेगी, बल्कि संकट में भी संबल बनकर उभरेगी। यह तकनीक आपदा प्रबंधन में नई आशा का प्रतीक है और हम इसके जरिए हर जीवन की कीमत को सम्मान देंगे।”

ब्यूरो रिपोर्ट अजीत यादव